भारत अमरीका सम्बन्ध नव अवबोधन | Bharat Amriki Sambandh Nav Awbodhan
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
58 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विश्वव्यापी हितों के प्रति है। ले देकर उसकी साग्राज्यवादी आकांक्षा ओर छवि ही अधिक `
प्रस्फुटित हुई है। आर्थिक क्षेत्र मे अपार सहायता को भी भारत ओर तीसरी दुनिया के अन्य
देशो मे अमरीकी हितों के परिपोषण का साधन ही माना गया।
शीतयुद्ध से पूर्वं भारत-अमरीकी सम्बन्धं के बारे में योगेश चन्द्र हालन ने लिखा था,
“राष्ट्रपति चाहे डमोकटिक हो या रिपब्लिकन उसका मनोवैज्ञानिक ढाँचा अमेरिकी है। गलत
धारणाय लिए हुए है। दस में नौ अमेरिकी संसार के मानचित्र मेँ भारत को नहीं पहचान
सकते। जान बूझकर अमेरिका भी भारत को रूस का सहयोगी मानता है। उसका यह विश्वास
हे कि भारत का आर्थिक ढांचा मुख्यतः समाजवादी है। व्यक्ति की स्वतंत्रता मुख्यतया आर्थिक
क्षेत्र में बहुत कम है यही कारण है कि पिछले चालीस वर्षों में वैसा ही बना हुआ है।”
एषर
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