वत्सला टूट गई | Vatsala Tot gai
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थी, तो उसवा कोई मादूल उत्तर नहीं मिल. पाता । बया यह तरुणाई का वेग
भरा श्ालाइन विलोडन था. या सौलते हुए खून का एव एस रेला था, जो
मुझे बवाटर बी अततिम सीमा तक ठेलता ते गया था
सर जो बुछ भी हो वाई वाई” पे भाटान प्रदान वे साथ हम टौरोधी से
विदा हुए और मैंने नीली वी भाँखों मे भावते हुए मट्यूस निया वि व बुछ
गीली थी । नौटत हुए नीलिमा के चरण जिस यचलता श्रौर शदूमुत उल्लास
से पृथ्वी पर पद रह थ, उससे यही ध्वनित हाता था कि वह थ्रपनी राप्री को
पापर बेहुर खुग है शरीर तरि वहं प्रपनावयग चलते उरो कभी प्रलगन होते देगी ।
पर डौराधी मरे मन में मे जाने षया-वृष्ठदुरेद गर्ईदथौज्रि म वहुतदेर तवः
एकात चितन में निमग्न कोई टढ घण्टे तक झपने वमर मे साया हुमा सा
चटा रहा डीदायो कौ मीलव्रमलसी धांस ममे न जाने बसे स्वप्नतोक था
आभास हे रही थी 1 उषे दमक्ते हए नहरेयी काति एसी लग रही थी,
जसे कि सोती से से उसका श्राय वनका होवर भाक रहा हा । हाशिम सी
उसकी शुभ दातावनी उसव सौदय मे चार याद नगा रही थी । नुकीली
नापिवा मरे मन की परता मे बहुत गहरी होवर चुम श्राई थी श्रौरएव
श्रदूमुत साथे मे तना हुआ उसका भरा पूरा 'रीर, लम्बा, छरहरा दीले डौल,
उनत आवाकाश्रा स उरोज न पाने बसे मानसिक परिवतन दी सुचना दें
रहे थे 1
मैं घौंवा नीहार दिस गत रास्ते पर तुम बट रह हो फया यही तुम्हारा
प्राप्तय है क्या मम्मी ये तुमस यहीं अपता पी थी श्रौर स्वगस्थ पिता की
धामा क्या दम डगर पर गर्म पडने पर् उराका निषध व गरेगी । तभी मौनी
मरैश्राङरण्डिसेमेरीग्रांसा व) मूदतिया श्रौरग्टनेलमो क्या सोच रदं
हो भया ? सभी स मे जात क्या सोय खोये से रीस पते हो । क्या भूल गय
वि श्राज मध्या का हम प्रारती' देखने चलना है 1”
वास्तविकता वी रस तीसी मार से जये मरे मन पर चाबुक लगा आर में जसे
निर्यत हौ गया । भावनाग्रा वे वीहंड जगत म से अपने श्रापपो उम्रारते हुए
नीली का यही श्रार्यासन दिया ‹गपनौ नन्दी बहन का वायदा बसे भूल
सबता हूँ 1
श्रच्छा तो मैं नही वब से हा गई ।” व्स पीलिमा को यह कस
बताऊ कि बह हमेशा ही मेरे तिय नहीं ही रहगी चाहिम वह कितनी ही वड़ी
ब्यों न हो गाय !
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