घूँघट | Ghunghat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
819 KB
कुल पष्ठ :
34
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १६ |]
एक दिन जाते हँ भिल हस सराकके पदमे सव-
सारी दुनियां जिसकी सरादिम वह प्रमु पदमे है !!
भोज०~-भई वाह ! मिष्टर दिल फड़क ! वीवी क्या है--पेदाइशी
एडवोकेट है ।
टेसु०-(मंह बनाकर) मार डाला ! मुभसे पूछो पढें की बात“-
जव हुए पैदा तो घर बच्चों तलक पर्दा रहा !
मर गए तो जिस्म पर फ़ोरन कफ़न डाला गया !!
फिर बचा पदेंसे क्या इसको मुलाहिजा कीजिए!
बाद मे जो दिल कहे उस बातको कद् लीजिए ॥
गड़बड़०--तभी तो बाबू साहब बी०ए० पास ही नहीं, बीबी पास
भी हैं!
घिच०--मगर इस रेल्वे-पासल के भीतर क्या भरा है, यह तो
पता ही नहीं !
मोजन०--झरे भाइ ! ज़रूर कुछ दाल में काला है, तभी ! न्दी,
भं ह न खोलती-मजाल है! मदे की बात श्रौर वह
भी न मानी जाय !?
मि०--हत्तेरी ऐसी कम तैसी ! बस, अब बदाश्त नहीं !--
मदं था मद्ंनगी की ताब से पुरजोश था !
पर शराफ़तके सबब श्रवतक रहा खामोश था ॥
श्व मिटाकर ही रहूँगा परये बेहूदगी !
मैं दिखाउँगा तुमे 'अब फेशनेबुल जिंदगी |
स्त्री०--( करुण-स्वर में ) मरे देवता ! ममे माफ़ करो !-
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