श्री ममल पाहुडं या अमल पाहुडं भाग - 2 | Shri Mamal Pahudam Ya Amal Pahudam Bhag - 2

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Shri Mamal Pahudam Ya Amal Pahudam Bhag - 2 by ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद जी - Brahmchari Seetalprasad Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ममकपाहुड़ मे रेत ह -2--2--2. क -- दान नया नयी जन जोन न नायक नसक दानव नयानणजान धन जानणवउनकान, जिनवर उत्तर जिनय जिनेन्द जिनय जिन नस्द मओ । तं टभ्थि अट्ध्थि मरभ्ि जिनय .जिन जिनय सनेदे ५आ ॥ ते यान सन्यान सुन्यान विन्यान ममल रस सुमखरओं । न्यानीय सुयं सुबवन्न जिनय जिन जिनय जिन सेहरा ॥ गमओ गम्य अगम्य उवन जिनय जिन सेहरो ॥ ३ ॥ न न्यान लग्थि सु लग्पि सुय॑ सुब सुबन सुब॑ जिन न्यान पञ । त टमिउ नंतानंतु सहन जिन ठव्थि अलय्थि सुलब्धिमओ ॥ त॑ंदान सुदान सुन्यान सुय॑ जिन जिनय जिनय जिनेंद रओ। न्यानीय निलय त॑ निलय निलय जिन जिनय जिंनद सु सेहरो॥ ४ ॥ गमओ ० त॑ लब्घि अलव्थि सुढन्धि जिन जिनय जिनेंद सनेद सनंद मओ । त॑ भोय सुभोय अभोय भोय गुन जिनय जिनेंद सनंद सनंद मओ ॥ उवभोग सुभोग अभोग मोगरे नंद सनंद जिन सेहरो । न्यानीय सुनीय सुनीय सुय॑ सुइ सहज जिनेंद स सेहरो ॥ ५ ॥ गमओ ० नंत वीर्य सु रुन्धि सुरन्धि सुयं सुह वी सुनंतानंत पओ । सम्मत्त सम्मत्त स उत्त स॒ समय सुय॑ जिन जिनय जिनेंद रओ ॥ त॑ चरनह चरिय चरंतु चरन जिन जिनय जिनेंद रओ । न्यानीय सु निलय जिंनेद जिनय जिन सहज जिनेंद स सेहरो ॥ ६ ॥ गमओ० |† नौ लब्धि उवन उवन सु उवन उवन सु जिनय मओ। | तं रुन्धि अनन्तानन्त सहज सुह सहन भिनेन्द सनन्द पओ ॥ ॥ २॥




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