रामवृक्ष बेनीपुरी रचना संचयन | Ramvriksha Benipuri Rachana Sanchayan

Book Image : रामवृक्ष बेनीपुरी रचना संचयन  - Ramvriksha Benipuri Rachana Sanchayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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को झेलते युवक को निकालते । यहाँ-वहाँ से चन्दा माँग कर उसे किसी क्रदर डिस्पैच करते। घर-घर युवकों के पास जाकर आज़ादी और नवजागरण का शंख फूँकते । कभी चना-चबेना पर गुज़र करते और कभी वह भी नसीब नहीं । पर बाहर से आनेवाले युवकों को कभी इसका एहसास नहीं होने देते । फ़ाकाकशी पर भी इन युवाओं की मस्ती झूमती ही रहती । ऐसे थे ये बेपरवाह बेलौस नितान्त निर्भीक ये युवा किसी भी क़ीमत पर युवक निकालने की तैयारी । पटना कॉलेज के सामने उस खपरैल मकान में सिर पर क्रफ़न बाँधे युवकों की वह मस्त टोली अपने पसीने और ख़ून से आज्ञादी के युद्ध के दीप को अहर्निश जलाये रखती । इतिहास के इस तथ्य को आज के इतिहास-लेखकों ने कितनी निर्मम अनदेखी की है वस्तुतः युवक का सम्पादन और संचालन बेनीपुरी की ओजस्विता और अदटूट साहस की अग्नि-वीणा का दाहक प्रखर स्वर था। वे संघर्ष में आस्था रखते और उसी के अग्निपथ पर चलते भी। यह संघर्ष उनके अन्तर की कलाशक्ति को जाग्रत और आन्दोलित करता । उनकी कला उनका राजनीतिक क्रान्तिकारी चरित्र संघर्ष से और भी उत्तरोत्तर निखरता ही गया । बेनीपुरी की दृष्टि से- कला का पिता संघर्ष है । कला जैसी अनुपम सुन्दर सृष्टि निश्चिन्तता और आनन्द के परिवेश में नहीं होती । वह तो संघर्ष की आग में तपकर और भी शक्ति प्राप्त करती है। संघर्ष निष्ठुरतर तो होता है किन्तु वही ठोस बनाता है चमक देता है काट करने की क्षमता देता है। युवक में ही पहले-पहल बेनीपुरी ने समाजवाद पर लेख लिखा । रासबिहारी बोस यतीन्द्र मुकर्जी जैसे क्रान्तिकारियों पर लेख निकले मेरठ षड्यन्त्र केस के तमाम अभियुक्तों का सचित्र परिचय इसी में छपा। भगत सिंह की फ़ाँसी पर 25-3-31 बेनीपुरी ने सम्पादकीय लिखा जिसके लिए छह महीने की सज़ा भुगतने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ । युवक के सम्पादन के क्रम में बेनीपुरी युवाओं में उत्साह और उमंग खिलाफ़त और बग़ावत का झण्डा अंग्रेज़ी सल्तनत के ख़िलाफ़ उठाये-उड़ाते ही रहे । ख़ुद विप्लव का शंखनाद करते और उस युग की युवापीढ़ी में आज्ञादी के लिए आग सुलगाते । युवक आश्रम युवक निकालने का ऑफ़िस मात्र नहीं था अपितु बिहार की क्रान्तिकारी राजनीतिक चिन्तनधारा और प्रगतिशील साहित्य की रचना का आग्नेय स्रोत था। जेलयात्रा-तप और साधना की मंजिल युवक का विप्लव अंक अभी वेनीपुरी डिस्पैच भी नहीं कर पाए थे कि महात्मा गाँधी ने गुलामी के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया । बेनीपुरी ने षलक झपकते रातों-रात युवाओं छात्रों को इकट्ठा किया । सुबह होते-होते पटना कॉलेज से मेडिकल कॉलेज तक छात्रों युवाओं की भारी भीड़ हाथों में तिरंगा झण्डा लिये इन्क़लाव ज़िन्दाबाद और महात्मा गाँधी की जय का उद्घोष करती गगनभेदी नाशें से आकाश 16 . रामवृक्ष बेनीपुरी रचना सचयन




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