भारत में विवेकानन्द | Bhaarat Men Vivekaanada

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : भारत में विवेकानन्द  - Bhaarat Men  Vivekaanada

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand

Add Infomation AboutSwami Vivekanand

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कोछम्बों का व्याख्यान नी अध्यात्म-विद्या इन सब नवीन मार्गों द्वारा भिन्न-भिन्न जातियों की घमनियों में होकर प्रवाहित हुए हैं । सारी मानव जाति जिस उन्नति की आकां करती है उसमें श्ञान्ति-प्रिय हिन्दू जाति को भी कुछ देना है ओर आध्यात्मिक आलोक ही भारत का वह दान है । सा. इस प्रकार अतीत का हातिहास पढ़ कर हम देखते हैं के जब कभी किसी प्रबल दिगिजयी जाति ने संसार की अन्यान्य जातियों का एक सूत्र भें ग्रथित किया है भारत के साथ अन्यान्य देशों का अथवा अन्यान्य जातियों का सम्मेलन कराया है चिरस्वातन्ड्यप्रिय भारतवासियों की स्वतन्त्रता जब कभी अपदत हुई है--जब कभी ऐसी घटना घटी है तभी सारे संसार में भारतीय आध्यात्मिकता की बाद बाँध तोड़-फोड कर बह निकली है । वर्तमान उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ में विख्यात जर्मन दार्शनिक शोपिनहर ने वेद के किसी एक साधारण से लैटिन अनुवाद को पढ़ कर--जो अनुवाद किसी नवयुवक फरासीसी द्वारा वेद के किसी पुराने फारसी अनुवाद से किया गया था--कह। है के मुगल-सम्राट औरंगजेब के बड़े भाइं दाराशिकोद ने फारसी भाष में उपनिषद का अनुवाद कराया था | सन्‌ १६५७ ईँं० में वह अनुवाद समाप्त हुआ या । सुजाउद्दोला की राजसभा के सदस्य फरासीसी रेजीडेण्ट जेण्टिछ साहब ने वह अनुवाद बर्नियर साइब के मार्फत आंकेतिल दुपेरों नामक सुप्रसिद्ध सेलानी और जेन्दावेसता के आविष्कता के पास मेज दिया था । इन्होंने उसका लेटिन भाषा में अनुवाद किया । सुप्रसिद्ध जर्मन दाशैनिक शोपेनदर का दशेन इसी उपनिषद द्वारा विशेष रूप से अनुप्राणित हुआ हे । इस प्रकार पहले बदल यूरोप में उपनिषद के भावों का प्रवेश हुआ है । दे




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now