आधुनिक ब्रजभाषा काव्य | Adhunik Brijbhasha-kavya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-प्रवेदा १७ पुराने राजा महाराजोऽ तथा साहित्य प्रं मियो के व्यक्तिगते पुस्तकालयोऽ) धघुम~घाम कर प्रकारित-्रप्रकाशित सामग्री का सकलन किया जाय । श्रलोच्य युग की श्रांशिक प्राचीनता भी सामग्री-सग्रहके मागे में किसी सीमा तक बाघक थी । परिणामतः दपर विषय को पुस्तकालीय.विषय (ाइन्नरी सन्जेक्ट) भौर वाह्य क्षेत्रीय-विषय (फील्ड सन्जेक्ट) का समुचित समन्वित रूप समना चाहिये । यहाँ यह उल्लेख कर देना भी श्रसगत न होगा कि सामग्री-सकलन सम्बन्धी अमण के बीच मुझे अवध, ब्रज-मण्डल तथा काशी श्रौर उसके भ्रासन-पास श्रतेक ऐसे स्थानोकी यात्रा करनी पडी, जहा के लोग श्रपने पास एकत्रित सामग्री के विषय मेँ भ्रौर उसकी महत्ता के सम्बन्ध में कुचं नही जानत्ते है । जहां तक प्रस्तुत शोधःप्र्रन्ध की श्राघारमूत सामग्री का सम्बन्ध है, इसके तीनो युगो-प्राक्‌-मारतेन्दु, भारतेन्दु युग भ्रौर उत्तर-भारतेन्दु युग की सामग्री ्रपनी सपेक्षिक प्राचीनता श्रौर नवीनतता को ध्यान में रखकर मुख्यत£ तीन ही रूपो मे उपलब्ध थी । प्राक्‌-भारतेन्दु युगकी सामग्री ७०-८० से १०० वर्ष तक पुरानी होने के कारण मुख्यतः पुराने राज्य दरबारो के पुस्तका लयों, निजी-सम्रह्दो तथा साहित्यिक सस्थाश्ों के पुस्तकागारो में बिखरी पडी है । इसका बहुत कम श दा प्रकाशित है । उक्त तीनो युगो में भारतेन्दु-युग पर ही सबसे श्रघिक प्रकादित सामग्री उपलब्ध है आर विभिन्न विदानो तथा झनुसचित्युओ ने (देखिये-झरद्यतन प्रयत्न वाला प्रकरण) इसका पर्याप्त झध्ययन-मनन भी किया है । खडी बोली कविता की प्रधानता हो जाने के कारण उत्तर-भारतेन्दु युग के विषय में पुन: व्यवस्थित रूप में सामग्री की प्राप्ति दुर्लभ है। पर साथ ही सापेक्षिक रूप में नवीन तथा वर्तमान युग से सम्बन्धित होने के कारण एक विशेष लाभ यह रहा कि जीवित कवियो कै श्रौ-मुख से, कवि-सम्मेलनो, श्राकरादवाणी के कायेक्रमो तथा उनके घर जाकर, उनकी रचनाश्रो को सुनने तथा लिपिव्द्धकरने का श्रपुवं प्रवसर प्राप्त हो सका । उदाहरण के लिये इस शोध-परबन्ध भें सवं श्री ्रनूप सर्मा, “अखिलेश {त्निवेदी, डा० रामशंकर शुक्ल “रसालः डा० जगदीश गुप्त. स्व श्वचनेश्च' मिश्र, ९/ “हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, नागरी प्रचारिणी समा कारी, हिन्दी सभा सीतापुर, नामरी प्रचारिणी सभा आगरा 1 ०० मा० सु शी हिन्दी विद्यापीठ, श्रागरा 1 '**लखनुऊ, आगरा, काशी, प्रयाग तथा दिल्‍ली विश्वविद्यालय \ _ ^“ जत्रवष॒ के मल्लापुर, महेवा, रामकोट, अयोध्या, बलरामपुर तथा रामनगर (काशी) “ 6गथोली (जिला सीनापुर) स्थित प० कृष्णुबिहारी मिश्र, सीतापुर में पंडित नवलबिहारी मिश्र, अगरे में श्री व्विरिजीलाल पालीवाल ठथा प० उदयशकर शास्त्री, वाराणसी में बा० श्रजरत्नदास कौर म्रेदय मे कविवर “अखिलेश, के निजी सग्रह




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