उधरण माला | Udharan Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
517
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उदाहर्णमाला | [३
भिन्नो । अधिकांश मे खियो को पतित वनाने वाली यदी
वस्तुँ हैं । खियँ यदि पौद्गलिक श्ज्ञार की लालसा पर विजय
प्राप्न कर सकं, गहना, कपडा श्रौर खान-पान की वस्तु पर न
लक्तचावे, इससे समत्व हटा ले, तो किस की शक्ति दै जो परखी
की ओर बुरी तजर से टेख कके ?
मनरेवाने कदा है कि जिखका पतिषैरदेशमे हो उसे
विलासनसामम्री से क्या प्रयोजन है ?
मदनरेखा ने मणिर्थ के भेजे हुए चस्त्राभूषण लाने बाली
दूत्ती को फटकार वत्ताई और वापस ले जाने को कद्दा । दूती ने
धृूपता के साथ कहा--राजा आप को चाहते है। इन गहनं
कपडों की तो वात ही क्या दै, वे स्वयं आपके श्राधीन होने
वलि दै] यह् वस्त्र श्रौर श्राभूषण तो शपनी हार्दिक कामना
प्रकट करने के लिए दी उन्होंने भेजे हैं ।'
दूती की निलज्जतापूणं वात सुनते ही मदनरेखा का ्रद्ध-
अन्न क्रोध से जल उठा । उसने अपनी दासी से ्रपनी खङ्ग
मेंगवाई और दूनी को उसकी धृष्टता का मजा चखा देने का
विचार किया । `
मदनरेखा की भयंकर आति देख कर दूती सिर से पैर तक
कोप उटी ! उसकी प्रचण्ड मुखमुद्रा 2ेख दूती के चरे पर हवा
इयां डने लगीं 1! तव सदनरेखा ने उससे कहा--जा, काल! सह्
कर ¡ श्पने राजा से कह ठेना किं वह् सिंहनी पर दाथ डालने
की खतरनाक श्रौर निष्फल चेष्ठा न करे; न्यथा धन~परिवार
समेत उसका समूल नाश हो जयगा ।
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