धरती के लाल | Dhartee Ke Lal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धरती के लाल १७
“परं मने उन श्रकेला नो नहीं छोड़ा मिस्टर जार्ज ! वहाँ कई विदवास-
पान्न लोग हैं श्रमी; श्र फिर सुभ्हें श्रपनी चेटी का भी तो सहारा है...”
“क्या ? बेटी का क्या सहारा ?.. लेकिन यह श्रादमी कौन है ? तुम
दोनों चाहते वया हो ?”
चचा नदताश्च ने नोता की श्रोर ऐसे देखा, सानो पहली वार देस रहे
हों । उठकर बोले, “यह 1! एक लड़का है . हमारे यहाँ घ्राज हो श्राया
है। ..... फ
““दया नाम है इसका 2?
चचा नश्ताश्च ने कोई उत्तर नहीं दिया । फिर उस नौजवान की श्रोर
देखा श्रौर उनी श्रोर किर हिलाया । श्रागन्तुक ने श्रपनौ यपो ह्यो
मे मोड़ी -तोड़ी श्रौर उत्तर दिया--“नोता लेपादतु ।”
बढ़े ने सिर हिलाया श्रौर ऐसा दिखाया मानो उसने उस नौजवान का
नाम पहली चार सुना हो भ्रौर कुछ भ्रजीव-सा नाम हो 1
जमींदार ने दुहराया, ' नीता लेपादतु ? कहाँ से श्राये हो 7”
“नीगोइस्तौ से ।”
*जिला इयादी ? क्या चाहते हौ ?”
श्रव चचा नक्ता दो, “मिस्टर जां, यह् मवेशिर्यो फी देखभाल का
काम चाहता हे!“
हु, तो यह मवेधियों को देखभाल का काम चाहता है, सचमुच ? सर,
किसी को जानते हो ? कोई ज़मानतो है ?”
“जी नहीं,” नोता वोला, “हमारी तरफ तो कोई जमानती नहीं
मापिता 1
“सच ? चलो, मैं भी कोई चमानतौ नहीं मगना ! यस एक श्तं है, तुम
ध्रपना वर्तावा प्रच्छा रोगे 1 हां एक दात, तुमने नौगोहदती के जमौदार
की नौकरी व्यो दोडी ?
नीता ने घीमी श्रादाच मे उत्तर दिया, “मिरटर जानं यह् न स्ममः मि
में बुरा झादमी हूं । यह सच है कि में गरीच हूँ, इसमे फोई दर नहीं...
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