धरती के लाल | Dhartee Ke Lal

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Dhartee Ke Lal by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धरती के लाल १७ “परं मने उन श्रकेला नो नहीं छोड़ा मिस्टर जार्ज ! वहाँ कई विदवास- पान्न लोग हैं श्रमी; श्र फिर सुभ्हें श्रपनी चेटी का भी तो सहारा है...” “क्या ? बेटी का क्या सहारा ?.. लेकिन यह श्रादमी कौन है ? तुम दोनों चाहते वया हो ?” चचा नदताश्च ने नोता की श्रोर ऐसे देखा, सानो पहली वार देस रहे हों । उठकर बोले, “यह 1! एक लड़का है . हमारे यहाँ घ्राज हो श्राया है। ..... फ ““दया नाम है इसका 2? चचा नश्ताश्च ने कोई उत्तर नहीं दिया । फिर उस नौजवान की श्रोर देखा श्रौर उनी श्रोर किर हिलाया । श्रागन्तुक ने श्रपनौ यपो ह्यो मे मोड़ी -तोड़ी श्रौर उत्तर दिया--“नोता लेपादतु ।” बढ़े ने सिर हिलाया श्रौर ऐसा दिखाया मानो उसने उस नौजवान का नाम पहली चार सुना हो भ्रौर कुछ भ्रजीव-सा नाम हो 1 जमींदार ने दुहराया, ' नीता लेपादतु ? कहाँ से श्राये हो 7” “नीगोइस्तौ से ।” *जिला इयादी ? क्या चाहते हौ ?” श्रव चचा नक्ता दो, “मिस्टर जां, यह्‌ मवेशिर्यो फी देखभाल का काम चाहता हे!“ हु, तो यह मवेधियों को देखभाल का काम चाहता है, सचमुच ? सर, किसी को जानते हो ? कोई ज़मानतो है ?” “जी नहीं,” नोता वोला, “हमारी तरफ तो कोई जमानती नहीं मापिता 1 “सच ? चलो, मैं भी कोई चमानतौ नहीं मगना ! यस एक श्तं है, तुम ध्रपना वर्तावा प्रच्छा रोगे 1 हां एक दात, तुमने नौगोहदती के जमौदार की नौकरी व्यो दोडी ? नीता ने घीमी श्रादाच मे उत्तर दिया, “मिरटर जानं यह्‌ न स्ममः मि में बुरा झादमी हूं । यह सच है कि में गरीच हूँ, इसमे फोई दर नहीं...




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