दो सेर धान | Do Ser Dhan

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Do Ser Dhan by तकषी शिवशंकर पिल्लै - Takashi Sivasankara Pillai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कोरन इसकी खबर लेता रहा कि चिरुता से शादी करने की बातें करने कौन-कौन आता है । कुछ लोग राजी होकर लौट गए हूँ, पर शादी की बात पक्की नहीं हई । ` कभी-कभी उसको लगता कि विरता उसके पक्ष में है । कारण, वह उस दिन उसको अर्थपूणे दृष्टि से देखती ओर मुस्कुराती रही थी । उसका विश्वास था कि उसने उस दिन जो-कुछ कहा था वह॒ चिरुता की प्रेरणा से ही कहा था । विदां होते समय भी तो उसने कुछ इशारा किया था । लेकिन इधर एक नई तनातनी शुरू हो गई । चम्पक्कुलम के चात्तन ते कुञ्व्याली को प्रभावित कर लिया 1 कञ्व्ाली की इच्छाथीकिपंसा भले ही कम मिले, चिरुता की सगाई चात्तन से ही हो । लेकिन चिर्ता नें चात्तन के पक्ष या विपक्ष में कुछ नहीं कहा । चात्तन प्राय: रोज ही वहाँ जाने छगा । कोरन धर्म-संकट. में पड़ गया],




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