बंगाल का काल | Bangaal Kaa Kaal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बंगाल का काल
खाती बूढ़े और जवान,
नि्ममता सें एक समान;
वंग भूमि बन गदं राक्षसी--
कहते ही लो कटी ज़बान 1...
राम-रमा !
क्षमा-क्षमा !
माता को राक्षसी कह गया !
पाप शांत हो,
दूर भ्रांति हो ।
ठीक, अन्नपूर्णा कं आंचल
मे ह सवस,
अन्न तथा रस,
पड़ा न सूखा,
बाढ़ न आई
और नहीं आया टिड्डी दल,
कितु बंग हे भूखा, भूखा, भूखा !
माता के आँचल की निधियाँ
२
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