बंगाल का काल | Bangaal Kaa Kaal

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Bangaal Kaa Kaal by बच्चन - Bachchan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बंगाल का काल खाती बूढ़े और जवान, नि्ममता सें एक समान; वंग भूमि बन गदं राक्षसी-- कहते ही लो कटी ज़बान 1... राम-रमा ! क्षमा-क्षमा ! माता को राक्षसी कह गया ! पाप शांत हो, दूर भ्रांति हो । ठीक, अन्नपूर्णा कं आंचल मे ह सवस, अन्न तथा रस, पड़ा न सूखा, बाढ़ न आई और नहीं आया टिड्डी दल, कितु बंग हे भूखा, भूखा, भूखा ! माता के आँचल की निधियाँ २




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