जोधपुर के महाराजा मानसिंह और उनका काल | Jodhpur Ke Maharaja Mansingh Aur Unka Kaal

Jodhpur Ke Maharaja Mansingh Aur Unka Kaal by कुमारी पद्मजा शर्मा - Kumari Padmja Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ख जोधपुर के महाराजा मानसिंह श्रौर उनका काल था ।5 मारवाड़ के भ्रजीतसिंह भ्रभयर्सिह श्रपने चरित्र तथा अस्थिर नीति के कारण मुगुलों के पतन से लाभ नहीं उठा सके । उनके उत्तराधिकारी बख्तरसिह रामर्सिह श्रौर विजयसिह श्रपने श्रान्तरिक कलह तथा संघर्षों में ही उलभें रहे । सवाई जरयरसिह यद्यपि श्रसाघारण मानसिक श्रौर बौद्धिक गुणों का धनी था तथा कला वास्तुकला ज्ञान कूटनीति श्रौर नागरिक प्रशासन में उसकी गहन रुचि थी तथापि उसमें एक राजपुत सेनिक की हिम्मत भ्ौर अग्नि नहीं थी । उसके दो पुत्र ईश्वरीसिंह श्रौर माधोर्सिह अधिकतर झ्रपने उत्तराधिकार के भकगडे में ही व्यस्त रहे । कोटा और बूंदी के शासक प्रथम तो सर्वोच्चता के क्रगड़े के शिकार हो गए श्र उसके उपरान्त राजपूताने की सामान्य अव्यवस्था में उलक गए । तब तक राजपुताने के सामन्त भी श्रपने पूर्व तेज श्रौर शक्ति को बहुत कुछ खो चुके थे । शिक्षा श्रौर उचित प्रशिक्षण के श्रभाव में वे श्रपनी जागीरों का कुशलतापूुर्वेक प्रशासन करने में प्रसफल थे । उनकी पारस्परिक शत्रुता ने उन्हें समाज के एक भयंकर ब्रण फोड़े कारूप दे दिया था । सम्पूर्णं उत्तर-भारत में भ्रन्य कोई ऐसी शक्ति नहीं थी जो इस रिक्तता को भर सकती । मराठों का भ्रन्त प्रवेश इन परिस्थितियों में मराठों के लिए राजपुताने में श्रपना पैर जमाना फकिंचित भी कठिन नहीं था । जहाँ तक साहस श्रौर युद्ध करने की क्षमता का प्रश्न था राजपुत मराठों से सम्भवत श्रेष्ठ थे । परन्तु जहाँ राजपुतों में प्राचीनता के अझभिमान के भ्रतिरिक्त और कोईऊँचा राजनीतिक भ्रादशं नहीं था मराठों को उनके झ्राद्श हिन्दु पदपादशाही की प्रेरणा ने भले ही वह श्रादर्श केवल एक श्रस्पष्ट भावनामात्र ही ३. टॉड एनल्स भाग १ पृष्ठ ३३८ ४. २२ जुलाई १८२२ का लिखा हुमा विल्डर का श्राक्टरलोनी को पत्र । पुरानी जोधपुर फाइल सं० ५ श्रार० ए० झार० टॉड का विचार था कि विजयर्सिह की भ्रसफलता का कारण उसकी निबंतता श्ौर श्रसामरिक श्रादतें थीं । टॉड उल्लिखित भाग २ पृष्ठ १०३ ५. बंशभास्कर पू० ३२२२ टॉड भाग २ पृष्ठ सरकार उहि्लिखित भाग है पृष्ठ १३५ . सरकार उल्लिखित भाग १ पृष्ठ १३३२-३४ १४५८-५९ . सरकार उल्लिखित भाग १ पृष्ठ १३३ सरकार उल्लिखित भाग ४ पृष्ठ ७२ ७४ £. बनर्जी लेक्चसं. राजपूत हिस्ट्री पृष्ठ १३८ इछ डी




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