हर्षचरित - एक सांस्कृतिक अध्ययन | Harsh Charitr - Ek Sanskritik Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है 2 कालीन राजपूत मुद्दा से । चित्र ४४ (पुर ६६)--चाँदी का हंसाकृति पात्र ( राजत-राजहूस ) 1 तक्षशिला की खुदाई मे प्राप्त । चित्त ५8 (१०६६) -दस वृद्ध मूति मे गुप्तकारीन मग्नाशुक पट ( शरीर से सटी हुई फनी चादर मौर उसके अन्त भाग में छाती पर पतली डोरी ( तनु लेखा ) स्पष्ट दिखाई देती हू । मूर्तियों में प्राप्त इन विश्ेषताओ से ही बाण के “म्नांशुक पटान्ततनु तास्र लेखालाडिछत लावण्य' पद का मयं स्पष्ट होता हू । चित्रश्ड (प० १०२)--कुब्जिका ( अष्टवर्षा ) परिचारिका । मयुरा-महोली से प्राप्त मधुपान दुय में अंकित घूणिंत न्नी ओर उसकी कुल्जिका ( मयुरा संप्र हा- लय की परिचय पुस्तिका, फलक ११ ) । फलक १६ । चित्रश६ (पु० १९०)--अष्टमंगलकमाला । मथुरा से प्राप्त जैन आयागपट्ट से । शेष दो मगलकमालाएं साची स्तप के स्तम्भ पर अकत हं ( माशंलकृत साची महा- स्तूप, भाग रे, फलक ३७ ) । फलक १७ चिल्न शप (पु० ११७)--शशाक की स्वणंमुद्रा । दिव और नन्दी, एव शशांक मदर फी भाकृति से अंकित ( सी० जे ० ब्राउन, क्वाइन्स बॉफ इ'डिया,फलक प,मुद्ा१२) । चित्र ६० (पु १९१)--गजमस्तक से अलंकृत भुजाली का कोश । मजन्ता गुफा में चित्रित भारधषण चिन्न से (मौ घकृतमजन्ता, फलक ३१, गौर ७६ ) । चित्र ६१ (पु० १२६)-हाय में डंडा लिए हुए प्यादा । अहिच्छत्रा से प्राप्त मिट्टी की मूर्ति सं० १९३ ) ! चित्र ६२ (पु० १३०)---कपंदी नामक हस्ति-परिचारक जिनके मस्तक पर प्रभुप्रसाद के प्राप्त घीरा या फीता ( पट़च्चरकपंट ) वेधा हुभा होता था) मौ घत धजन्ता, फरक ३७ ) । चिन्न ६३ (पु० १३४)-कोटवी-सक्तक नगी स्त्री। अहिच्छता से प्राप्त मिट्टो की मूर्ति ( घं ० २०३-२०४) । चित्र ६४ (पु° १३६)--मदरासन । ( भौधरृत अजन्ता, फलक ४१) फलक १८ चिल ६५ (पृ १३८)--हषं की वृषाकित मृद्रा, सोनीपत से प्राप्त ( पीट सम्पादित गुप्त- अभिङेख, फलक ३२ वौ० } । चित्र ६६ पुर १४३)--घोडं कौ सजावट के लियं छवणकलायी नामक आभूषण । अमरा- वती स्तूप के शिलापट्ट से । चित्र ६७ ( पू० १४७,१८६ )”मेस्वाभरण ( घौ'कनी की तरह चौडें मुह का झाकदेशीय तरकथण, सर्ली एम्पायर्स आफ सेन्ट्रल छुषिया, पु० १३९ ) । 1




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