हर्षचरित - एक सांस्कृतिक अध्ययन | Harsh Charitr - Ek Sanskritik Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
334
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है 2
कालीन राजपूत मुद्दा से ।
चित्र ४४ (पुर ६६)--चाँदी का हंसाकृति पात्र ( राजत-राजहूस ) 1 तक्षशिला की खुदाई
मे प्राप्त ।
चित्त ५8 (१०६६) -दस वृद्ध मूति मे गुप्तकारीन मग्नाशुक पट ( शरीर से सटी हुई फनी
चादर मौर उसके अन्त भाग में छाती पर पतली डोरी ( तनु लेखा ) स्पष्ट
दिखाई देती हू । मूर्तियों में प्राप्त इन विश्ेषताओ से ही बाण के “म्नांशुक
पटान्ततनु तास्र लेखालाडिछत लावण्य' पद का मयं स्पष्ट होता हू ।
चित्रश्ड (प० १०२)--कुब्जिका ( अष्टवर्षा ) परिचारिका । मयुरा-महोली से प्राप्त
मधुपान दुय में अंकित घूणिंत न्नी ओर उसकी कुल्जिका ( मयुरा संप्र हा-
लय की परिचय पुस्तिका, फलक ११ ) ।
फलक १६
। चित्रश६ (पु० १९०)--अष्टमंगलकमाला । मथुरा से प्राप्त जैन आयागपट्ट से । शेष दो
मगलकमालाएं साची स्तप के स्तम्भ पर अकत हं ( माशंलकृत साची महा-
स्तूप, भाग रे, फलक ३७ ) ।
फलक १७
चिल्न शप (पु० ११७)--शशाक की स्वणंमुद्रा । दिव और नन्दी, एव शशांक मदर फी
भाकृति से अंकित ( सी० जे ० ब्राउन, क्वाइन्स बॉफ इ'डिया,फलक प,मुद्ा१२) ।
चित्र ६० (पु १९१)--गजमस्तक से अलंकृत भुजाली का कोश । मजन्ता गुफा में चित्रित
भारधषण चिन्न से (मौ घकृतमजन्ता, फलक ३१, गौर ७६ ) ।
चित्र ६१ (पु० १२६)-हाय में डंडा लिए हुए प्यादा । अहिच्छत्रा से प्राप्त मिट्टी की मूर्ति
सं० १९३ ) !
चित्र ६२ (पु० १३०)---कपंदी नामक हस्ति-परिचारक जिनके मस्तक पर प्रभुप्रसाद के
प्राप्त घीरा या फीता ( पट़च्चरकपंट ) वेधा हुभा होता था) मौ घत धजन्ता,
फरक ३७ ) ।
चिन्न ६३ (पु० १३४)-कोटवी-सक्तक नगी स्त्री। अहिच्छता से प्राप्त मिट्टो की मूर्ति
( घं ० २०३-२०४) ।
चित्र ६४ (पु° १३६)--मदरासन । ( भौधरृत अजन्ता, फलक ४१)
फलक १८
चिल ६५ (पृ १३८)--हषं की वृषाकित मृद्रा, सोनीपत से प्राप्त ( पीट सम्पादित गुप्त-
अभिङेख, फलक ३२ वौ० } ।
चित्र ६६ पुर १४३)--घोडं कौ सजावट के लियं छवणकलायी नामक आभूषण । अमरा-
वती स्तूप के शिलापट्ट से ।
चित्र ६७ ( पू० १४७,१८६ )”मेस्वाभरण ( घौ'कनी की तरह चौडें मुह का झाकदेशीय
तरकथण, सर्ली एम्पायर्स आफ सेन्ट्रल छुषिया, पु० १३९ ) ।
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