मैत्रेयी पुष्पा कथा साहित्य का सांस्कृतिक अनिशीलन | Maitreyi Pushpa Katha Sahitya Ka Sanskritik Anushilan

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Maitreyi Pushpa Katha Sahitya Ka Sanskritik Anushilan by मीनाक्षी - Minakshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मैत्रेयी पुष्पा “4 कथा साहित्य का सांस्कृतिक अनुशीलन (6) बाद में मैत्रेयी की माता ने संघर्ष करते हुए अपना शिक्षण कार्य जारी रखा व ग्राम सेविका की नौकरी भी कर ली। आर्थिक परिस्थितियों ने मैत्रेयी की सफलता का कभी रास्ता नहीं रोका। विवाह भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सक से हुआ, जिससे आपको सामाजिक व आर्थिक दोनों रूपों में सफलता उपलब्ध हुई। वर्तमान में आप स्वयं अपनी प्रतिभा के बल पर समाज में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं । (ग) शिक्षा संस्कार : मैत्रेयी की माँ जागरूक व प्रगतिशील महिला थीं। वह चाहती थीं कि उनकी पुत्री सुचेता कृपलानी व सरोजनी नायडू की तरह बने । उन्होंने मैत्रेयी की शिक्षा को दृष्टि में रखते हुए ही उन्हें अलीगढ़ में अकेला छोड़ा, जहाँ रहकर उनको जीवन कं कटु अनुभव हुए। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा अलीगढ़ में हुई, पर आपका प्रारम्भिक जीवन झाँसी जिले के खिल्ली ग्राम में दादा चमन सिंह यादव के यहाँ व्यतीत हुआ। आपने टीकाराम कन्या विद्यालय, अलीगढ़ से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद मं खिल्ली मेँ रहकर मोठ के डी0वी0 इण्टर कॉलेज से इण्टरमीडिएट की परीक्षा तथा स्नातक व परास्नातक की शिक्षा आपने झाँसी के बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय से प्राप्त की। आपका विद्यार्थी जीवन सादगीपूर्णं रहा। मैत्रेयी को जीवन के प्रत्येक मोड़ पर अपने नारी होने का प्रबल अनुभव होता रहा । दुष्परिणाम भी सामने आये किन्तु अपनी कर्मठता, सहनशीलता तथा अडिग साहसिकता के साथ प्रतिकूलताओं को अनुकूलताओं मँ परिवर्तित करते हए विश्वविद्यालयीन उच्च शिक्षा प्राप्त करके जीवन मेँ अपना एक सम्माननीय स्तर बनाने में उनको सफलता प्राप्त हुई । देश की पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था के विपरीत अपना मन्तव्य प्रकट करने का गुण उन्हं अपनी मौ कस्तूरी से विरासत में मिला था। उक्त मन्तव्य का साकार स्वरूप उनके कथा-साहित्य मेँ देखने को मिलता है । यह संस्कार जन्म से ही




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