तुम्हारे लिए | Thumhre Liye

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Thumhre Liye by गोपीकृष्ण गोपेश - Gopikrishn Gopesh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ ० ® तुम्हारे लिए इसका निशैय करो, सितारो- किसके लिए बना' है कौन ! फागुन आया, जग बौराया, कोयल बोली, एल सिले, श्र, दूर उस नील क्षितिज पर घरती-अम्बर गले सिने, कितु, सदा के डाही पतर ने छोटा-सा प्ररन किया, यहु छोटा-सा प्रश्न किया-- इसका निर्णय करो, सितारो-- किसके लिए बना है कौन ! न सावन आया, घन घहूराया, नदियाँ उमड़ीं, ताप सिटा-- दुर दितिज पर सरित-सिधु का अन्तर अपने-आप मिटा, किंतु, सदा के डाही दिनकर ने छोटा-सा प्रश्न किया, यह्‌ छोटा-सा प्रश्न किया-- इसका निय करो, सितारो-- किसके लिए बना है कौन ! --पौच--




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