सिंघी जन ग्रन्थ माला | Singhi Jan Granth Mala
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपकेश्गच्छगुदावली
सिरिअजियसिंहसूरी गण हु रस य री इमे किर लिदिया ।
संताणजाणणत्थं सिरिमेतसुहम्मसामिस्स ॥ ७
॥ गणहरसन्तरी ज्ुगपहाणसत्तरी सताणसत्तरी वा समत्ता॥
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सवत् १२३७ माघ वदि ९ सोमे प० मादेवेन परकरणपुस्तिका िखितेति।
उपकेट्रागच्छशुवांवरी
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श्रीपाम्बं नौमि सद् भक्त्या चवे गच्छपरम्पराम् ।
पड्ालकमदाप्वां च वस्येऽद सद्रणाधिकाम् ॥
पासजिणेसरतित्थे केसी नामेण गणहरो पुच।
तस्स सुसीसो सूरी सयपहो आसि सिरमाङे ॥
सिरिरियणप्यदसूरी तस्स विणेओ अ खेअरो तद्या 1
उवएसगच्छकंदो उवएसपुरम्मि विक्खाओ ॥
उवषएसे कोरंटे सत्तरिवरिसम्मि वीरसुक्खाओ ।
इक्षि रग्गम्मि जेण पद्य विंवज्ुरुमिण ॥
पत्या चत्सराणा 'चरमजिनपतेमुक्तिजा(या)तस्य माथे,
पश्चम्या शुक्लपक्षे खुरमुरुदिवसे घ्रह्मण, सन्मुह्ते ।
नाचयरिहायैः पतिभरणयुतैः सवसद्वाठयातैः,
श्रीसद्वीरस्य चिम्बे भवसितुमथने निर्भिताञत्र प्रतिष्ठा ॥
हा च सुरौ श्रेष्ठा करता स्वददीने ददा । गच्खाधिष्ठायिका जाता देवी श्रीजिनदासने ॥
चापि कोरृण्टे तथा च वह्छभीपुरे । स्तम्भतीये च खजाताः काखलाख्त्वारि ता इमाः ॥
मदुपकेशगच्छे ककुदाचार्यीयप्रवर सन्ताने । श्रीफकस्रिखुयुरुअफ्रेम्चर्याज्ञया जात? ॥
ककसूरिखुपड़े गच्यभारधुरन्धर । आरीसिद्रस्ूरिः खजातो खुवनञ्रयपावनः ॥
क्ारगणत्सूरिश्रीदेवगुपतस्य । गर ्धिष्ठायिकादेव्या द॑त्त नामत्रय तदा ॥ श
घुभिः पञचराताभिः सच्चारिचवि मूपितिः। सत्पाठकसघयुतैर्वाचनाचायैमिभिश्रः।॥ १
द्ादक्ासद्र््यासरितै्णुरुपद भक्त सदा गणेदायुगम् ।
चितय वा ,युर्मद्विक, सहत्तरायाथ्व युग्मवरम् ॥ १
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