सात इनकलाबी इतवार भाग - 1 | Saat Inkalabi Itawar Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छ सात इनक़लाबी इतवार छ ५
रेशन का डेलीगेट चुना जाता-जाता रह गयां श्रौर मैं कमेटी का
मेम्बर हूँ गोकि मेरी जगह नीची है। वह भी इस उधेड़-बुन में है कि
जिस लैम्प फैक्टरी में वह काम करती है उसकी श्रोर से सिंडीकेट की
डेलिगेट चुन ली जाय; लेकिन उसका नाम कोई भी क्यों पेश करने
लगा जब कि वह इतनी श्रनमिश्ञ है कि मीटिंग में, सिवाय पर्चें बाँटने
के कुछ श्रौर कर ही नहीं सकती ! वह जर्मिनल की पुन्नी है, धू्ज्वा वगं
में इस बात का जितना महत्व होता वेसां यहाँ कुछ भी नदीं है । हमारे
यहाँ तो हर किसी को ग्रपने काम की श्रौलाद होना पढ़ता है जैसा
कि मैं-
खेर जाने दो । तेकिन इससे होता ही कया है ? एक दिन जब
मेरे पिता गिरजा घर से लौटे तो माता से तकरार हो गई श्रौर मार-
मार कर उसकी जाम से ली। क्यों १ ऊँह ! ये उन दोनों की श्रपनी
बात थी। मैं बारह वर्ष का था, मैंने घर छोड़ दिया । मै बहूधा
भूखा भी रहता था श्रौर सभी मौसमों में घर से बाहर श्राकाश के नीचे
सोना पड़ता था ; किन्तु जैषा किम ऊपर कह चकारं यष्ट सब बातें
कोई महत्व नहीं रखतीं। झाज तो में कॉमरेड लियनश्यो बिलाकम्पा
हूँ । यदि श्राप ।इसका मतलब नदीं समते तो प्िंडीकेट जाकर पूछ
लीजिये । मैं इड़तालवाद को इतनी श्रच्छी तरद्द जानता हूँ कि संगठन
विषयक मामलों में मैं कभी चूक नहीं कर सकता । बाक़ी सब बातें
नगण्य जैसी हैं। मैं श्रपने संगठन से सम्बन्ध रखनेवालें उत्कृष्ट
पचो कै श्रलाया श्रौर कोई समाचारपच नक्ष पढ़ता । यूर्ज्वा
पन्न झपनी तसबीरों को छोड़कर महज कूड़ा-करकट हैं । उन्हें
रिपोर्ट करना श्राता दी नहीं । ज़रा देखिये तो सही कि वह हमारी
समाशों श्ौर तहरीक के सम्बन्ध में क्या' कहते हैं । सब-कुछ लोगों को
'आन्वेरे में रखने के विचार से । बह न इमारे कार्य के सम्बन्ध में दी
कुछ जानते हैं. शऔर न श्रपने दी । वह शब्दों की शुत्थियाँ बनाकर
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