आर्य डाइरेक्टरी | Aarya Dairektari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
671
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about इन्द्र विद्यावाचस्पति - Indra Vidyavachspati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राय डाइरेक्टरी
परस्पर विरुद्ध विचारसरणि के द्योतक माने
जाते है, परन्तु श्राय समाज, ऋषि दयानन्द
के मतानुसार इनके विचारों का समन्वय
करता है । विभिन्न समयों में ये विभिन्न दृष्टि-
कोण से लिखे गये हैं, परन्तु उनका लकय
एक ही है।
चार उपव्रेद--श्रायुवेदः, धनुर्वद्, गाध-
वंवेद श्रौर अथवंवेद ।
मनुस्सखति--राजा व प्रजा के नागरिक
शधिकारों श्रौर कर्तव्यों का चोतक ग्रन्थ है |
आये समाज श्रन्य प्रचलित १०८ से ्धिक
स्मृतियों मे से मनुस्मृति को श्रधिक प्रामा-
णिक मानता है ।
संस्कार श्रादि के प्रदशेक गह्य सूत्रोमे
से गोभिलः शौनक, ्राश्वलायन श्रौर पारा-
शर सूरो को श्रायं समाज मौलिक मानता है।
ऋषि दयानन्द के प्रन्थ- महि
दयानन्द कृत निम्न ग्रन्थों को झायं समाज
प्रामाणिके मानता है ।
(क) सप्तम मण्डल के ७२ वे सूक्त तक
का ऋग्वेद का माष्य।
(ख) सम्पूणं यजुर्वेद भाष्य |
(ग) ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका |
(घ) सत्याथप्रकाश ।
(ङ) संस्कारविधि ।
(च) श्रायांभिविनय ।
(ह) श्रायोँद् श्यरतनमाला ।
(ज) व्यवहारभानु ।
(भः) गोकरुणानिधि ।
आयं समाज के मन्तव्य
१. श्राये समाज तीन पदार्थों को श्रनादि
मानता है--ईश्वर,; जीव श्र प्रकृति ।
(क) इश्वर एक और सच्चिदानन्दादि
लक्षण युक्त है ( देखो नियम सं० २) ।
(ख) जीव शननेक एवं इच्छा, ट् प;
सुख, दुःख, श्रोर ज्ञानादि गुणयुक्त श्रल्पश
तथा नित्य हैं ।
(ग) जीव और ईश्वर परस्पर भिन्न और
व्याप्य-व्यापक, उपास्य-उपासक एवं पिता-पुत्र
श्रादि सन्बन्ध युक्त हैं ।
(घ) प्रकृति जड़ है, जो नाना द्रव्यों के
रूप में दीख पड़ती है ।
२. जीव कमं करने मेँ स्वतन्त्र है ।
३. पाप-पुणय--विद्यादि शुभ गुणों का
दान श्रौर सत्य भाषणादि सत्य व्यवहार
करना पुण्य श्रौर इससे विपरीत पाप कह-
लाता है |
४. स्वगे-नरक-- जीव को उसके लिये
पुण्य के फल स्वरूप विशेष सुख श्रौर सुख
की सामग्री प्रात होना ही स्वग है। श्रौर
इसी प्रकार पाप कमं के फल स्वरूप विशेष
दुःख श्र दुःख की सामग्री प्राप्त होने का
नाम नरक है । स्वग-नरक किन्दीं लोक या
देश विशेष का नाम नहीं है ।
पुनजन्म--जीव श्रपने कर्मानुसार नाना
योनियों में बारबार जन्म लेते हैं; शरीर
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