ग्होगी राजस्थान जन जीवन | Gahoyi rajasthan Jan Jivan
 श्रेणी : भारत / India, साहित्य / Literature

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
4.1 MB
                  कुल पष्ठ :  
106
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खेले आखातीज   घर में कोवी तेल न ताई रोड मरे गल-गलांई  करें तो काको के करे 7 वस कोनी हाले । आधी ढृढगी पण आज काकै री ाँख्यां में बद थीं पढ़ । उन्वें फुरे है अर बुन्ने है पण तींद तो हराम हुरयी है. । सागै सूते चनै रे पेठ माग्रे हाथ फेरतो काको घणी कांस - कर रियो है ।  आज वनड़े मोटर लेवण रो डाढो हठ पकड़ियो आखे दिन रूस्यो  रियो  रोटी खाई न पाणी पीयों । रॉबतो रॉवर्तों भूखो ही सूतों है. पेंट छुरढ   कुरछ   करे हैं. । के कियो जे ? टींगर रे जिद पकइर रोवण हाठों बड़ों रोग है । कियां छुडावां ? कियां पढ़ावां   सोच करतां करतां आखर काके रै ही होस में रोस रमग्यो । ओथारों सो फिरम्यो अर सऊँ   सऊ   खोलो सो सुसांवण लागग्यो.। नॉक रा खरडुकां भारड्कां सू. खने सूती व्ले री माँ अर वडिया जाग उठी । धानरो वाठटों लियाँ बोली-- दिराणी जेठाणी ावो आटो दो पीस लेवा । विदाई चाकी सारें गूदुदी अर दिया हाथे माथे हाथ । तारियों उग्यो  भैंस्याँ ऊल्री अर काती सिनान री आरती वाजी । वनों काके सागै सूतो जाग्यो अर डे सूतै काके री. दौलक चणाई । पेट पीठ पर आँगछियां थिरकी  ताठठ पड़ी अर सन सन में दी आपरी अलवेली परभाती गीरी । बने री आंगठ्ठियां स  काके री काख नीचे  आंतड़ियां पर गिलगिली सी हुई। विचार संध्यो अर सक्कर नींद में भिजोक पड़ियो । बाकी री उवाज सागे होल होल चात करण रा सपसपाठ सुणीज्या । जद का दे लगाया कान  चाकी इग्यार
					
					
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