ग्होगी राजस्थान जन जीवन | Gahoyi rajasthan Jan Jivan

Gahoyi  rajasthan Jan Jivan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खेले आखातीज घर में कोवी तेल न ताई रोड मरे गल-गलांई करें तो काको के करे 7 वस कोनी हाले । आधी ढृढगी पण आज काकै री ाँख्यां में बद थीं पढ़ । उन्वें फुरे है अर बुन्ने है पण तींद तो हराम हुरयी है. । सागै सूते चनै रे पेठ माग्रे हाथ फेरतो काको घणी कांस - कर रियो है । आज वनड़े मोटर लेवण रो डाढो हठ पकड़ियो आखे दिन रूस्यो रियो रोटी खाई न पाणी पीयों । रॉबतो रॉवर्तों भूखो ही सूतों है. पेंट छुरढ कुरछ करे हैं. । के कियो जे ? टींगर रे जिद पकइर रोवण हाठों बड़ों रोग है । कियां छुडावां ? कियां पढ़ावां सोच करतां करतां आखर काके रै ही होस में रोस रमग्यो । ओथारों सो फिरम्यो अर सऊँ सऊ खोलो सो सुसांवण लागग्यो.। नॉक रा खरडुकां भारड्कां सू. खने सूती व्ले री माँ अर वडिया जाग उठी । धानरो वाठटों लियाँ बोली-- दिराणी जेठाणी ावो आटो दो पीस लेवा । विदाई चाकी सारें गूदुदी अर दिया हाथे माथे हाथ । तारियों उग्यो भैंस्याँ ऊल्री अर काती सिनान री आरती वाजी । वनों काके सागै सूतो जाग्यो अर डे सूतै काके री. दौलक चणाई । पेट पीठ पर आँगछियां थिरकी ताठठ पड़ी अर सन सन में दी आपरी अलवेली परभाती गीरी । बने री आंगठ्ठियां स काके री काख नीचे आंतड़ियां पर गिलगिली सी हुई। विचार संध्यो अर सक्कर नींद में भिजोक पड़ियो । बाकी री उवाज सागे होल होल चात करण रा सपसपाठ सुणीज्या । जद का दे लगाया कान चाकी इग्यार




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