अहिंसा - विवेचन | Ahinsa Vivechan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ahinsa Vivechan  by किशोरीलाल मशरूवाला - Kishorilal Mashroowala

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about किशोरीलाल मशरूवाला - Kishorilal Mashroowala

Add Infomation AboutKishorilal Mashroowala

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
३ ६; व्यवहाय॑ अहिंसा १ प्रस्तावना हिसा और अहिसा का विवाद अब केवल बौद्धिक चर्चा का ही विषय नहीं रहा, बल्कि यह विषय आज हमारे लिए इतने तात्कालिक और व्यावहारिक महत्त्व का होगया हैं कि जितना शायद आज तक कभी नहीं हुआ था । | गाधीजी ने जवसे सत्याग्रह के नाम से विख्यात अपनी प्रतिकार पद्धति का प्रचार किया और उसके सिलसिले में इस अहिसा दब्द को राजनीति के क्षेत्र में दाखिल किया, तबसे इस प्राचीन शब्द में एक नया अकुर निकला है । तीस से अधिक वर्षों से गाघीजी अपने लेखों भौर प्रत्यक्ष प्रयोगो द्वारा उसका अथं स्पष्ट करने मे अपनी शक्ति कगा रहे हैं। फिर भी, हममे से कई लोगो का यह विचार है कि यह दिषय या तो इतना बारीक है कि वह मामूली आदमी की समझ से परे है या फिर उसका अमल करना हमारी ताकत से बाहर है । दूसरी तरफ, हिंसा को हम सब समझ सकते हे । थोड़े मे कहे तो, नये अधिकार प्राप्त करने या पुराने हको की हिफाच्चत करने के लिए हमारी स्वाथं-बुद्धि हमे जो-जो भले-बुरे उपाय सुझा दे, वे सब हिसा के क्षेत्र में आ जाते है । हमें रात-दिन अपने चारो तरफ उसका अत्यन्त भयकर आर पकड़ में ही न आ सके इतने सुक्ष्म रूपों में भी अनुभव होता रहता है । आज दो वर्षों से यूरोप जोरों से उसके प्रभाव में आया है और उससे दुनिया की--या कम-से-कम हमारी--स्थिति




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now