समग्र ग्राम - सेवा की ओर | Samagra Gram Sewa Ki Aur
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
748
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९७ )
२५, शरीर-ध्रम को प्रतिष्ठा ... र १७८-१८४
[ चखं की वदती हई सग वदृ विभाग की स्थापना
वदृदर्याकालोप कैसे हुश्रा १? ]
२९. गन्दगाकोसेमस्या ... ` भय ~ च ... १८४-श८्य
[ सब बुराइयों का एक ही सोत; कपड़ों की सफाई; गाँवों
में साबुन बनाने की आवश्यकता 3]
२७, शिक्षा का प्रयोग ति की ... १८६-१६१
[ रामायण पाट-दार शिक्त | †
२८. रोगी-परिचर्या की दिशा में न ... १६१-२००
[ सामाजिक भावना का जागरण; रोगों की चिंकित्ता;
स्वच्छता की रुचि; चाचीपुर का पुनर्जीवन; हैजे का प्रकोप
और भवानी का मय; गाँवों में नवीन चिकरित्सा-करम की
आवश्यकता |
२९. मजदूरी का सवाल... ... न ...२०१-२०६
[ चख का ग्रार्थिक पक्त; जीवन-वेतन का एिद्धान्तः लिर्यो
में कार्य की आवश्यकता |
३०, सेवा-च्षेप्र का विस्तार. ... ... ...२८६- १०
[बापू से भिन्न ग्रनुमव |
२३१. रणीर्वा श्राश्चम की स्यापना ` ध ,..२१०-२१६
[ जेल का जीवन; आश्रम के लिए जमीन का चुनाव; वह
रीलों का द्राक् ! श्रद्धा की आवश्यकता |
देर. सरकारी दमन का रूप ... नम ..-२१६-२२२
[ सुधारक का गलत तरीका; आश्रम का वरदृता प्रभावः
सरवार-द्वारा दमन; दमन की झाँधी में अचल रहनेवाले;
विधवा का तेज ||
३३. खादी सेवकों नी शिंक्षा .- ४ ...२२३-२२य
[ दुलभ सेवक दा निधन; कणं माई का चुटकारा; खादी-
शिक्षण का केन्द्र, इमारी ब मी; उत्पत्ति-केन्द्रों को नये ढंग
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