समग्र ग्राम - सेवा की ओर | Samagra Gram Sewa Ki Aur

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Samagra Gram Sewa Ki Aur by धीरेन्द्र मजूमदार - Dhirendra Majumdar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९७ ) २५, शरीर-ध्रम को प्रतिष्ठा ... र १७८-१८४ [ चखं की वदती हई सग वदृ विभाग की स्थापना वदृदर्याकालोप कैसे हुश्रा १? ] २९. गन्दगाकोसेमस्या ... ` भय ~ च ... १८४-श८्य [ सब बुराइयों का एक ही सोत; कपड़ों की सफाई; गाँवों में साबुन बनाने की आवश्यकता 3] २७, शिक्षा का प्रयोग ति की ... १८६-१६१ [ रामायण पाट-दार शिक्त | † २८. रोगी-परिचर्या की दिशा में न ... १६१-२०० [ सामाजिक भावना का जागरण; रोगों की चिंकित्ता; स्वच्छता की रुचि; चाचीपुर का पुनर्जीवन; हैजे का प्रकोप और भवानी का मय; गाँवों में नवीन चिकरित्सा-करम की आवश्यकता | २९. मजदूरी का सवाल... ... न ...२०१-२०६ [ चख का ग्रार्थिक पक्त; जीवन-वेतन का एिद्धान्तः लिर्यो में कार्य की आवश्यकता | ३०, सेवा-च्षेप्र का विस्तार. ... ... ...२८६- १० [बापू से भिन्न ग्रनुमव | २३१. रणीर्वा श्राश्चम की स्यापना ` ध ,..२१०-२१६ [ जेल का जीवन; आश्रम के लिए जमीन का चुनाव; वह रीलों का द्राक्‌ ! श्रद्धा की आवश्यकता | देर. सरकारी दमन का रूप ... नम ..-२१६-२२२ [ सुधारक का गलत तरीका; आश्रम का वरदृता प्रभावः सरवार-द्वारा दमन; दमन की झाँधी में अचल रहनेवाले; विधवा का तेज || ३३. खादी सेवकों नी शिंक्षा .- ४ ...२२३-२२य [ दुलभ सेवक दा निधन; कणं माई का चुटकारा; खादी- शिक्षण का केन्द्र, इमारी ब मी; उत्पत्ति-केन्द्रों को नये ढंग




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