अछूत - समस्या | Achhut - Samasya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अूत-समस्या
अवूत-प्रथा ओर उसकी विषमतारं
[१६९४ में, पेलगाँव से, कांग्रेस-सप्ताह के झवसर पर, 'प्रटन-
सम्मेलन में महात्मा गांधी ने एक बढ़ा प्रसावशाली व्याख्यान दिवा
था । नीचे उसका झंशानुवाद दिया जा रहा दे । इसको पढ़कर
पाठकों को यह स्पष्ट ज्ञात हो जायगा कि गांधीली के हरिजिन-
संघंधी विचारों को किसी प्रकार भी जड कहना क्तिना थनुचित
ईै । उनके विचार क्तिने प्रात है ।--संपादफ ]
मित्रो, अदनोद्वार के विंपय में अपनी सम्मति प्रकट करने
के लिये मुझसे कहना एक प्रकार से अनावश्यक ही है । मैने
अगणित बार सार्वजनिक व्याख्यानो भे कहा है कि यह मेरे
हृदय की प्रार्थना है कि यदि में इस जन्म में मोक्ष न प्राप्त कर
स्थ, नो अपने अगले जनम में भगी के घर पैढा होऊू | मै
जन्मना, तथा कर्णा, दोनों रूप से 'घर्णाश्रम' में विव्वाप्त रखता
हैं, किंतु भंगी को किसी भी ख्ये हीन आधमः का नही
समझता । में ऐसे बहुत-से भगियो को जानता हू, जो आदर
तथा श्रद्धा के पात्र हैं। और, ऐसे वहुतन्से ब्रापणों को भी
जानता हूँ, जिनके प्रति डर भी श्रद्धा तथा आदर का भाव
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