अछूत - समस्या | Achhut - Samasya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Achhut - Samasya by दुलारेलाल भार्गव - Dularelal Bhargav

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav

Add Infomation AboutShridularelal Bhargav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अूत-समस्या अवूत-प्रथा ओर उसकी विषमतारं [१६९४ में, पेलगाँव से, कांग्रेस-सप्ताह के झवसर पर, 'प्रटन- सम्मेलन में महात्मा गांधी ने एक बढ़ा प्रसावशाली व्याख्यान दिवा था । नीचे उसका झंशानुवाद दिया जा रहा दे । इसको पढ़कर पाठकों को यह स्पष्ट ज्ञात हो जायगा कि गांधीली के हरिजिन- संघंधी विचारों को किसी प्रकार भी जड कहना क्तिना थनुचित ईै । उनके विचार क्तिने प्रात है ।--संपादफ ] मित्रो, अदनोद्वार के विंपय में अपनी सम्मति प्रकट करने के लिये मुझसे कहना एक प्रकार से अनावश्यक ही है । मैने अगणित बार सार्वजनिक व्याख्यानो भे कहा है कि यह मेरे हृदय की प्रार्थना है कि यदि में इस जन्म में मोक्ष न प्राप्त कर स्थ, नो अपने अगले जनम में भगी के घर पैढा होऊू | मै जन्मना, तथा कर्णा, दोनों रूप से 'घर्णाश्रम' में विव्वाप्त रखता हैं, किंतु भंगी को किसी भी ख्ये हीन आधमः का नही समझता । में ऐसे बहुत-से भगियो को जानता हू, जो आदर तथा श्रद्धा के पात्र हैं। और, ऐसे वहुतन्से ब्रापणों को भी जानता हूँ, जिनके प्रति डर भी श्रद्धा तथा आदर का भाव




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now