अथ ज्योतिषसार | Ath Jyotishasar

Ath Jyotishasar by शुकदेव - Shukadev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषादीकासमेत । (५) सक्राति अनुसार ऋतु मृगुदिराशिद्रय बावुभोगात्वडतंवः स्युः शिशिरो वसन्तः ॥ गरीष्मशथवषा शस तद्रदेमंतनामा कथितश्च षष्ठः ॥ १८ ॥ टीका-मकर आदि ढेकर दो राशि सब सयं भोगे तव एक कतु होती उसी प्रकार सूये १२ राशि भोगतेह उससे ६ ऋतु होतेह ॥ १८ ॥ तथा मतांतर राशि । चेत्रादि द्विद्विमासाभ्यां वसंतायूतवश्च पट ॥ दाक्षिणात्याः प्रगङ्खति देष पिव्यि च कमणि ॥१९॥ टोका-चेत्रादिक दोगासमें 3 ऋतु इस प्रकारसे १२ मासमें ६ ऋतु होतेहैं सो दक्षिण देशमें देव पितृ करमेमें प्रसिद्धे ॥ १९ ॥ १ मकर | ~~ ककं } _ , त २ कप शिशिरकतु १ ८ तिह । वषोक्रतु ४ ३ मीन ! , ९ कन्या ४ मेष ( दरतक्तु २ १० तुदा शरद्कतु ५. वृषु ३१ ^ तक ६ मिथुन भम्र १२ धन दे मतातररांशअनुसार मासञअन॒सार. गेषादिक दो राशि पूरय भू चेत्रसे छेकर दो२ मास वसंत इस प्रमाणसे वसंत आदिक ६ होती हैं, आदिक छः ६ कतु होती हैं तु । (रद श्च | भति) रहं २ वृषण | प ववृधि,| २ वेशा. | ८कार्ति,| रेमिथुन ९धन ) ३ज्पेषठ घ शमा / एककं शत्व १०मक| स्त 0 आषा राप १०दष मत सिह १ 1 शाशर “भाव, । ५ ११माघ / - थिर न्या षा १२मीन | ह रिर ९ वर्षा, दा, ( शिशिर क कनक क १ दक्षिण देरावासी इस महीनेमें पिदठकम कसते ह




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-11-23 07:29:23
    Rated : 7 out of 10 stars.
    The category of the book should be Jyotish
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