अथ ज्योतिषसार | Ath Jyotishasar
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
241
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषादीकासमेत । (५)
सक्राति अनुसार ऋतु
मृगुदिराशिद्रय बावुभोगात्वडतंवः स्युः शिशिरो वसन्तः ॥
गरीष्मशथवषा शस तद्रदेमंतनामा कथितश्च षष्ठः ॥ १८ ॥
टीका-मकर आदि ढेकर दो राशि सब सयं भोगे तव एक कतु
होती उसी प्रकार सूये १२ राशि भोगतेह उससे ६ ऋतु होतेह ॥ १८ ॥
तथा मतांतर राशि ।
चेत्रादि द्विद्विमासाभ्यां वसंतायूतवश्च पट ॥
दाक्षिणात्याः प्रगङ्खति देष पिव्यि च कमणि ॥१९॥
टोका-चेत्रादिक दोगासमें 3 ऋतु इस प्रकारसे १२ मासमें ६ ऋतु
होतेहैं सो दक्षिण देशमें देव पितृ करमेमें प्रसिद्धे ॥ १९ ॥
१ मकर | ~~ ककं } _ , त
२ कप शिशिरकतु १ ८ तिह । वषोक्रतु ४
३ मीन ! , ९ कन्या
४ मेष ( दरतक्तु २ १० तुदा शरद्कतु
५. वृषु ३१ ^ तक
६ मिथुन भम्र १२ धन दे
मतातररांशअनुसार मासञअन॒सार.
गेषादिक दो राशि पूरय भू चेत्रसे छेकर दो२ मास वसंत
इस प्रमाणसे वसंत आदिक ६ होती हैं, आदिक छः ६ कतु होती हैं
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२ वृषण | प ववृधि,| २ वेशा. | ८कार्ति,|
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rakesh jain
at 2020-11-23 07:29:23