आत्म विकास | Aatm Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
406
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)। २१
केले रहने पर पेय सबल होता द कोई कुत्ता भी अकेले रहने
पर जब विपस परिस्थिति सें पड़ता दै तो तनकर मुकाबला करता
>, स् [वा =, ~ १ ^
है। नेपोलियन का कहना था कि जों अकेले चलते है वे तेजी से
वदते है-श् क एश साध 5दद्त् उ11० रशा भूमा?
श्ौर यही निर्मीक हिटलर का भी मत था कि साइसी व्यक्ति यदि
भअफेला रहे तो मददासाहसी बन जाता दै--[11९ 8८708 ए0970
15 ऽध्गाहलः 3 {€ लफभ)ऽ 2100९ ।*-इरका तात्पये यहे
टै कि स्वर्तत्र श्चयिक्रारौ नने से भय का निवारण हेवा दै।
च्रसहनशीलता--असहनशीत्तता से भय खड़ा होता है ।
श्सहनशील होने पर मदुप्य स्वभाववश छोटी-छोटी वादों को
भी भयंक्रर समता दै, क्रोध करता दे और अन्त मे विपाद,
पश्चात्ताप तथाः क्तोक-मय से पीडित होता रै। भावोन्माद स
्सहनशीलता तीव्र होती दै शोर भावोन्माद् या माबुकता से मय
की भावना भी तीव्र होती दै)
व्यसन--्रत्येक व्यसन भयकारी होता है, क्योंकि वन्धन-
प्रस्त प्राणी भयभीत रहता ही है । किसी सुख से परिचित होने पर
उससे आसक्ति होती है और परिणामतः दुख से द्वप दथा भावी
कष्ट की कल्पना से भय उत्पन्न होता दै। व्यसनी या विलासी
व्यक्ति भय से निमु क्त होता हुआ नहीं देखा जाता |
श्रद्धा-विश्वाप्त की कमी--श्रद्धा और विश्वास की कमी से
` ्रास-असमथंता का अनुभव होता रै और यह मय लगा रहता
है कि सारा संसार हमारे ही उपर आक्रमण करने को तैयार है ।
सुप्रसिद्ध जाजे इलियट ने लिखा दै कि अविश्वास से बढ़कर
एकाकीपन और कौन होगा, अर्थात उससे ्पनी नित्सहायावस्था
फी कल्पना उठती है--'एए ५8६ 101:61१९३5 15 01076 10169
97415८८ प७६..-गाधीजो ने भी कहा है कि विश्वास करना एक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...