पिव पिव लागी प्यास (1976) एसी 5245 | Piv Piv Lagi Pyas (1976) Ac 5245
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० पिक पिव लागो प्यास
हैं। इसलिए जिस वर्ष जितनी ज्यादा गर्मी पड़ती ह, उस वषं उतने ही बादलों
का आगमन हो जाता हूँ ।
जीवन में एक गहरी व्यवस्था है। यहाँ कुछ भी अनियमपूर्ण नहीं है।
1कुछ भी अराजक नहीं है। जब हृदय उत्तप्त होता है शिष्य का, जलता हैं,
| रोता है, पीड़ित होता है जीवन के दुखों से -अचानक, कोई बदली चली आती
है खिची हुई। वह बदली ही गुरु हँ! ओर मिलन आकस्मिकं हं। गुरु की
तरफ से नही, शिष्य की तरफ से आकस्मिक है।
“दादू गैब माहि गुरुदेव मिल्या”-और गेब का दूसरा अं राह भी होता है।
एक अथं होता हं, अनायास आकस्मिक ; ओौर दूसरा अथं होता हं, मागं, राह ।
यह भी समझ लेने जैसा हं, कि जब तक तुम राह पर नहीं हो, गुरु
नहीं मिलेगा। थोड़ा सा तो तुम्हे राह पर होना ही पड़ेगा। राह का मतलब
है कि तुम्हें थोड़ी सी तो खोज करनी ही पड़ेगी ; यह भी जानते हुए, कि
तुम्हारी खोज से कुछ होने वाला नहीं है, तुम पहुँचोगे नहीं । तुम्हारी सब
खोज अंधरे में टटोलने जैसी है। लेकिन तुम टटोलते रहोगे तो ही गुरु सिलेगा।
जिन्होंने टटोला ही नहीं है, उनको गुरु नहीं मिल सकता!
तुम्हारी थोड़ी सी खोज तो चाहिए। व्ही तो तुम्हारी प्यास को प्रकट
करेगी । तुम्हारा थोड़ा प्रयत्न तो चाहिए। माना किं तुम नीद में हो, चल नहीं
सकते, करवट तो बदल ही सक्ते हो । माना कि तुम नींद में हो, तुम ठीक-ठीक
गुरु को पुकार नहीं सकते, लेकिन सपने में भी तो आदमी बुदबुदाता है, अनर्गल
बोलता है। उस अनर्गल बोलने के पीछे भी आकांक्षा तो होगी ही बुलाने की !
गहरी से गहरी नींद में भी अगर तुम गुरु को खोज रहे हो, यह जानते हुए
भलीभांति, कि तुम गुरु को खोज नहीं सकते क्योंकि तुम्हारे पास कोई कसौटी
नहीं है, जिस पर तुम कस लोगे कि कौन सोना है, कौन सोना नहीं है।
लेकिन तुम खोज रहे हो, आकांक्षा है, अभीप्सा हैं; तुम्हारी अभीप्सा के आधार
पर ही गुरु का आगमन हो सकता है। इसलिए राह पर तुम्हारा होना जरूरी
हूँ ।
ससार में करोड़ो लोग है, सभी को गुरु नहीं मिलता । उनकी आकांक्षा
ही नहीं हैं। वे तो हेरान होते हैं। अगर तुम्हे गुरु मिल जाय, तो वे हैरान
होते हैँ, कि तुम किस पागलपन में पड़े हो। भले-चगे भादमी थे, सब ठीक-ठीक
चल रहा था, यह क्या गड़बड़ में उलझ गये हो । वे तुम्हे बचाने की भी
कोशिश करते हैं।
क्योकि गुरु के मिलने का अथं हूं, तुम उनकी भीड़ के हिस्से न रहे।
गुरु के मिलने का अर्थ है, कि अव तुम उस राजमार्गं पर न चलोगे, जहाँ
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