कीट - पतंगों की आश्चर्यजनक बातें | Keet - Patangon Ki Aashcharyajanak Baten

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Keet - Patangon Ki Aashcharyajanak Baten by रजनीश - Rajnish

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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এ ১০111 ৮ 087 ५0 ^. ८ ৯৫ कि १ ति ~ রঃ ~ 8 भिन्न-भिन्न प्रकार के कीटो के कान भिन्‍न-भिन्‍न या दूसरे भागो में भी होते हैं। अनेक प्रकार के कीट शरीर के बहुत-से भागो से सूँघते हैं। इनमें मानवो के समान विकसित कान नही होते तथा न ही इनकी मानवो के समान नाकनहोतीं ह । इनकी सुघने की शक्ति तेज होती है। ८ द भ রগ ~, = < ৮ न>: करई टिङ्डो के कान उनके उद्र पर होते है । इन्द कान न केकर सुनने की छोटा-सा यत्र कहना चाहिए। कीटो की यह विशेषता होती है कि ये कपन का अनुभव अपने पैर के माध्यम से भी कर सकते है । प्रकृति ने इन्हे यह अद्भुत शवित प्रदान की है । कैटीडिड नामक कीडा रगो पर बने नन्दे 'धन्बो' की सहायता से सुनता है । बहुधा इनका स्वर कटु ओर कानो को प्रिय न लगनेवाला होता है । अ डर 39 ५ ध प ১ ४ ~> कौट-पतगो कतो आश्चर्यजनक यतिं 0 15




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