रसीलै राज रा गीत | Raseelai Raj Ra Geet

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सम्पादकीय १५ ग प्रत्ति-श्री सीताराम ल।ठस, जोधपुर के सग्रह की प्रति है । श्राकार १०३००८७६, पत्र सख्या - ८६, पक्ति सख्या - २४, श्रक्षर सख्या - २१-२२। प्रारभ की नाथ स्तुति इसी ग्रथ मेंहै। पुष्पिका में लिखा है--'श्रा पुस्तक मारवाड में गाव बीलाडंश्री बडेर री) महाराजा मानसिह्‌ का भवित-विषयक पद साहित्य पहले ही प्रकाश मे श्रा चुका था श्रौर उसका प्रचलन मारवाड की जनतामे श्रव भी है। परन्तु उनका यह्‌ श्र गारिक पद-साहित्य श्र्यावयि श्रज्ञात ही था । श्रा है, महाराजा मानसिहं के काव्य-पक्ष को सममन भ्रौर राजस्थानी काव्य की समृद्धिका श्रनुमान लगाने मे हमारा यह्‌ प्रयास उपयोगी सिद्ध होगा । -- न्मराययास्िह भाटी




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