सात इनक्रलाबी इतवार भाग - 2 | Sat Inkralabee Itawar Bhag - 2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
38 MB
कुल पष्ठ :
165
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र सात इनक्रलाबी इतवार » | १८६
यह मत भूलना किं यहाँ दो श्रादमी एेसे हं जिनके प्राणों की र्ता
तुम्हें जान पर खेलकर करनी हे ।
तसश्चात् उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना दी, वे दोनों चले गये।
वे परिवतन-यंत्र के नीचे पर्हुचे । किसी प्रकार का श्रागानपीछा किये
बिना, किप्रियानो फ़ौरन धातु की सीढ़ी पर चढ़ने लगा । चारों शोर
प्रश्नात्मक दृष्टि दौड़ाता हुआ, दोनों द्वाथों में रिवालवर लिये हुए,
सामर खंभ के नीचे पहरा दे रहा था । इम लगभग १०० गज़ के अंतर
पर हैं | घड़ी के पुर्जों के समान दर एक अपना कतव्य सुचारु रूप से
पालन कर रहा हैं । परंठ कुछ दी क्षण पश्चात् सामर किप्रियानों से कुछ:
कहता है शरोर किप्रियानो कुद देर सोच-समककर ऊपर चढ़ने लगता
है । परिवतन यंत्र में तीन तार एक श्रोर से श्राकर दूसरी श्रोर बाहर
निकल जाते हैं । जब कहीं एक लाख वोल्ट परिवर्तित होती हैं तो नगर
के प्रकाश, घरेलू कामों तथा व्यापारिक आवश्यकताओं का भरना
भरता है । खंगमे की चोटी पर पहुंचकर किप्रियानो ने झपने टोप तथा
सूट की पुनः परीक्षा की । यदि कद्दीं बाल बराबर भी खरोंच हुई तो
वह जलकर राख हो जायगा । किन्तु वह समी काम बुद्धियानी से कर्ता
है । वह सशीघ्र एक मन्द तनाव के तार से श्रपने पास के तार का एक
खिरा भिलाता है श्रौर उसका दूसरा सिर खाली दोड देता है । हम
सरिता के उसपार ला बाम्बिला तथा रोज़ालीज़ की रोशनी देख रहे हैं ।
उत्तरीय विच्युत् केन्द्र की शहद के छते जैसी खिड़कियों की पक्तियाँ
प्रकाश से चमचमा रही हैं । सेनटियागो को इस कारण क्रोध चढ़ रहा
है कि अभी तक कोई शत्रुददी नज़र नहीं आया है जिस पर कि वह गोली
चलाता । गरेको दरषतरिश में कहता द--
भिड्रिड के सभी बू्वां लोगों को, जो इस समय होटलों में रंग-
_ रेलियाँ मना रहे हैं और यह श्राशा कर रहे हैं कि हम पीस डाले जाँयगे,
यदि विद्युत् द्वारा मार डाला जाय तो केषा हो ! विश्वासघातियों की सोटरें
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