आमने सामने | Aamane Samane

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Aamane Samane by मालीराम शर्मा - Maliram Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कृ बाते भो रितावो में वहीं होतीं १३ करिति) पट्टी गाव दो घेकसप्रियर का फ़ाल्स्टा कहता है, किश समय बया बुद्धि लगाई जाए, इसीका नाम तो बहादुरी है । यही एक वात हैजौ एक कर्ता का ही भ्रादमी जानता हैं, विज्ञान झर वाणिज्य का रादमो नहीं जानता 1 एक सौ प्रदम इस यौजन की लम्बाई से मच्छर बन जाना!” मैंने रात पुरी भी नहीं की थी कि सब सोग खिलखिलाकर हुंस पढ़े 1 ^ पाप इसको माक मे लि रहै हैं, गम्मीरता से सोचिए । एक विज्ञान का अध्यापक कना में जाता है, उसे फॉरमूला याद नहीं, उसकी तो गाड़ी श्रटक गई। बहू हो भागे नहीं चल सकता । दूसरों तरफ एक इतिहास का भेघ्यापवा कक्षा में जाता है भ्रौर पढ़ाना शुरू करता है, 'हों रशाहू सूरो' । उसका पाठ शुरू होता है-- प्यारे बच्चो, दर्द का बचपन का नाम था मुराद । बहू विहार में सहूस- सम = *' बीच में एक लड़का लड़ा होता है श्र दोलता है, सर, उसका नाम मुराद महीं फरीद था। * भ्रष्यापक डरा भी विचरित नहीं होता भौर लड़के को बैठने का इशारा करते हुए एक वाइय पीर बोल देता हैं *' हों, कुछ इतिहासकारों का मत है कि सका पुराना नाम फरीद था 1 कक्षा पष्वरत । प्रवत प्रार्व्त \ “ परन्तु विज्ञान का भप्यापफ यह थोड़े ही कह सकता है कि यह फॉरमूला भी सही भोर वहू फॉरमूला भी सही । उसके पास ऐसा 'प्रादान' नहीं 1” संद लोग फिर खिलखिलाकर हंस पढ़ते हैं! ष “हम मान गए, कला का भादमी म्ल्छा भफसर बनता है 1 ' डावटर्‌श्रग्रवाल 4 प 6 मैं जानता हूं, बाप मनि नहीं । भाप मड़ाक में वात ले रहे हैं । यददी घोट ऐ्सपियर के साथ मे हुई भोर भन्ते में एक सूखे पात के भुंदु में रखकर वात कहूनी पड़ी : श्ोग समते रदे कि मैं मार कर रहा हूं जबकि मैंने सहीधौर स्चो बति ह बहो । भष, यदो स्थिठि मेरी है। भाप मेरी दात समझ; नहीं पा दे हैं। घाज को दोद्री मात्दतापों के युग में बात ऐसी कही जाए कि इरी दी निया मिंकलें । एक हो प्रर्न का उदाद 'हां भी हो भौर ना भी । यह हो कला




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