विचार दर्शन साहित्य के विविध योग | Vichar Darshan Sahitya Ke Vividh Yog

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Book Image : विचार दर्शन साहित्य के विविध योग  - Vichar Darshan Sahitya Ke Vividh Yog

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ठ तुलसी के राम उनके राम में अवतार की कोई भावना नहीं दे । उनके राम रूप और नाम से र्था परे हैं । घे साकार श्रौर नियृकार दोनों से ऊपर हैं । इस प्रकार कबीर के राम सिद्धान्त- वाद के प्रतीक बनकर झ्रगोचर रहे, किन्तु तलसी के राम, नाम, रूप श्र लीला के माध्यम से हमारे जीवन के श्राद्शं बन गये । ` तुलसीदास ने श्रपने राम के चरित्र-मिरूपण मे उनके व्यक्तित्व की रेखाओं को उभारने की खूब चेष्टा की है। 'रामचरितमानस' के श्रतिरिक्त 'कवितावली' श्रौर गीतावली में वलसीदास ने राम क व्यक्तित्व को विविध दृष्टिकोण से देखकर उनके रूप, गुण और लीला की बड़ी मोहक व्यज्ञना की है । कवितावली' म राम कै श्रोजस्वी तर शक्तिशाली शुश वित्‌ कीरेखाकीर्मोति हृदयाकाश मे चमक जाते । ग्रन्थ मं उन्दी प्रसंगो की चर्चा की गई है जिनसे राम का वीरत्व स्पष्ट होता है । 'गीतावली' में ठलसीदास ने श्रत्यन्त मधुर पदो म राम के कोमल श्र सुकुमार मनोभावों के चित्रों को काव्य की कुशल तूलिका से संवार रै । 'विनय-पत्रिका' में राम की कोई कथा नहीं हे किन्त॒ तलसीदास ने राम की भक्तवत्सलता दिखलाते हुए ग्रपनी दास्य-भस्ति से भरी हुई प्रार्थना की है जैसे केदारा की रागिनी मधुर शब्दों का परिघान लेकर छुंद श्रौर पदो के तालों पर व्रस्य कर रही है 1 'रामचरितमानस' तो कवि का प्रमुख ग्रय है जिसमें राम का चरित्र विविध दिशाओं से श्राती हुई तरंगों में लहरा उठा है । तुलसीदास ने बालकारणड में पहले तो श्रपने राम को उस ब्रह्म के रूप में अंकित किया है जो इच्छारहिंत, रूपरहित श्रौर नामरहित है, किन्तु इसके साथ ही साथ उन्होंने उस श्रह्म में ऐसे गुण भी दिखलाये हैं. जिनसे उसे भक्तों के दुम्ख से द्रवित होकर उनकी रक्षा के लिए, संसार में आना पड़ता है । तुलसीदास लिखते हैं : एक अनीह अरूप अनामा, अरज सच्चिदानन्द परधामा | व्यापक विश्व रूप सगवाना, तेहि धरि देह चरित कृत चाना । सो केवल भक्तन हित लागी, परम कपाल प्रनत श्रनुरागी । बालकरड के श्रारंभ में ही तुलसीदास ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे ऐसे राम का चरित लिखने जा रहे हैं जो भक्तों की रक्षा के लिए, इस संसार में मनुष्य का रूप धारण . करता दे । यही कारण दै कि बालकाण्ड के प्रारंभ में कवि ने रामावतार के अनेक कारण देते हुए मकब और भगवान के पारस्परिक नैकट्य को स्पष्ट किसी है । ११ *




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