वैज्ञानिकों की बातें | Vaigyaniko Ki Batain
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
73
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परांजपे दृढ़ प्रतिज्ञ थे । एक बार चुके सो दे चुके 1 उन्होंने कहा--' मैं अपने गुरु तथा अपनी ज्ञानदात्री
मातृसंस्था को जो वचन दे चुका हूं, उससे कदापि विमख नहीं हंगा |
और वे सचमुच केवल पचहत्तर रुपये मासिक वेतन पर बीस वर्षों तक फर्ग्युसन कॉलेज की सेवा
करते रहे ।
' टाइम मशीन ' तथा * शेप ऑफ थिंग्स ट कम
जेसे वैज्ञानिक उपन्यासों के जनक एच. जी. वेल्स
लंदन स्थित अपना मकान किसी को दिखा रहे थे।
तीसरी मंजिल पर एक छोटे से कमरे को दिखाते हुए
उन्होने कहा-'यह मेरा शयन-कक्ष हे ।'
` परन्तु आप निचली मंजिल मेँ अपने शानदार
कमरों में क्यों नहीं रहते? ' मित्र ने पूछा ।
' वे कमरे मेरी नौकरानी और रसोइए के लिए हैं ।
दोनों पिछले बीस वर्षों से मेरे साथ रहते हैं ।' वेल्स
ने कहा |
मित्र ने तर्क किया-' मगर अन्य स्थानों पर तो छोटे
कमरे नौकरों के लिए रखे जाते हैं ।'
इसीलिए मेरे मकान में वैसी व्यवस्था नहीं है ।
मेरी मां किसी समय लंदन में एक मकान में नौकरानी
थी !' वेल्स ने स्पष्ट किया ।
परीक्षा की घड़ी
बात इंग्लैंड की है । आचार्य जगदीशचंद्र बसु को इस प्रयोग का प्रदर्शन करना था कि पौधे भी हमारी
तरह पीड़ा का अनुभव करते हैं । उनका प्रयोग देखने ढेर सारे वैज्ञानिक एवं जिज्ञासु नर-नारी आए । बसु
+ वैज्ञानिकों की बातें ऊ 9
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