अर्द्ध - मागधी कोष भाग - 3 | Arddha - Magadhi Kosh Bhag - 3

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अर्द्ध - मागधी कोष भाग - 3  - Arddha - Magadhi Kosh Bhag - 3

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुनि श्री रत्नचन्द्रजी महाराज - Muni Shree Ratnachandraji Maharaj

Add Infomation AboutMuni Shree Ratnachandraji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
वस्जरश ] जयंत, व० कु नाया+ ष साजियमाय, कं वा+ य* कर सूचन रे, १; अद; नाया* १६; सञ्जख. न° ( सजन ) त इर्षा; 6५० य; त्र ७५७. तिरस्कार इरना. 76. 11.11.181 1/111.1. 1. सुय २,२, ६२; च; पण्ड १, २; दक्षा ९, ४; नाया० १६; सुन्व १,१; भोकर ४१। सर्जा. जी ० ( सजना ) ०२१ “ व्च ” २५८६. दसा “ तजण ” शब्द, ४१५७ तजया ° ° श्रोव० ४०; राय० ९७४) रुक) स भिसे सोद लेना रेषा आभेग्रह कारण. करने - कै तज्ाझ-य. त्रि० ( तजात ) यह शिष्पने | वाला. ( भ ) (एड ध§ रक ४१९६ ]\6 कण्ण ००००6 ७ फ्री फड १९७ ए 0109 1068 22908 6 श०९९७ 0% एवणकोगक्च न 09- 196४8 {781 16 18 १० १९९७१९७. पहर १,१; स०,१ ससहस. त्रिर (-स- कर ऋ जे शः 1 * + ;२ पर ^ ~ ९८ सृषट्रक ) %{२। 8५० २५६. देखो ऊपर | का शब्द ४04९७ ५०९6. नोन -- सै. सदखरग. त्रि० ( -संसुह्चरक ) ५२४२4 5५१ ९०६. देखो ऊपर का शब्द, ५६५० -1,0९6. ठा* ३; १; (५१भय्‌ (पता ॐ रने उक्षः ते | तञ्जाष्य-भ- त्रि ( वञ्जातिक--तरन आसि. २५६५ ६०५ युडने सजधावे ४ तमे उम्‌ नथी ऽत ते. शिष्य को शिक्षा देते हुए गुरुन जो शब्द कहे वेह शब्द शिष् गुरु का पुनः कह सुनावे कि तुम ( स्वतः ) क्या नहो करते हो. किन ध्ौी® ५५००७ & 1५69 ४ &.. [90800 0606 ण ॥ 11.11.81 21/.2..1.. 1 ०९४ 1७६ &४व७ 9५ २५ ^“ सखाय दोसे मइभगदोखे ” ठा १०; समर ३३; दसा० ३, २५; ( २ ) २धम २५।५५। १।२५ , ४०५५६ ५६।य.. साधु को देने योग्य दम्य -शाद पदायै, 8४ 68४})16 १६६८० 6 ०७७ ० > ७६५७६९८. सन ४, 3; --लेश. पु* ( -क्ेप ) सघ २५।५१न्‌ चाय थी हाथ रे वेप ते. साधको देने थलि पदाथ से हाथ दरैरह बिगड़ जांय वह, ४6 कफिशरवप्षष् ज [ण्व छु ४ ०४}8५४ ६० 06 ४ ६० ५7) ६९९९६४८. भावन नि ४०१; --सस्तहुकप्पिश्च. धिर ( -संसष्टकल्पिक }) 1८०44 सा पवावु न्य्‌ तथौ रस हाथ ५अर५/ साप ते &4 य लिया ५२२. तात -देने का इब्य उससे बिगड़ हुए हाथ इस्यादि से जो -- ~~ ~~~ -- ~~ ~~ ~~~ ~~ --~--~- ~ ~~~ ~~~ ~~~ ----*- --~-- ~ ~~ रंस्पातेयस्य सः ) २५१५ ७९५५ ५१५, उस्त्रं से उत्पन्न. 3. 0 ३६. * तजाइओ इमे कामा भुय 9 १५४, २, १६; वाञ्जिय. त्र ( तारित ) तम ऽर. पीडित; तर्जना दिया हुआ... 0160५ #9]700 0190. उत्त० ९, व; ३५; पथ गे, १; प्रष० १५२; कटाम. प° ( बाग ) ५४. ल्त; तडाग, ^ 1८8. ओबर तह. त्रि ( तष्ट ) 968; गीषु शरेषु. कीत हुआ: बारीक किया दभा. एप 60: [८९१्‌. सूय ०१,७,३०; जैन प० उ,१४७५ तदराशपस. त्रि (तत्स्यानप्रा्त) तेग स्थाननें त भे. उसी स्थानक जो प्राप्त हुआ है बह. ( @:+२ } ४]1० {+ ० जरत्‌ १।१४५१ [17१८6 . वेय ० ६, 2, तहर. पुं ( त्वष्टृ ) सिल नकनने। भक्विणन ८५. चित्रा नच्तत्र का भावष्ठाला देवता, पु ष्ट्वा वहा ७ (पै एव पो दो तढ़ा ' डा १, ३; ऋअरुजा० १३१; सूब पन १०] अन पर तड. न° { नट) (न्वै भरद. किनाराः तट. 1387: ५})०८6. नाया० ५; विज्ञे, ७६४; क




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now