शिशु रोग चिकित्सांक | Shishu Rog Chikitsank

Shishu Rog Chikitsank by आचार्य रघुवीरप्रसाद त्रिवेदी - Acharya Raghuvir Prasad Trivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुर:00:/ फेपलरजिस्टर्ड चिकित्सकों थे. लिये पुन; छुप गया. हें ! यन्त भस्प परिचय पुस्तक कई ये पहले प्रकाशित की गई, थी परन्तु इसकी अत्यधिक मांग से उसका प्रथम संस्करण २-३ वर्ष में ही समाप्त हो गया । तब से हमारे सहसों प्रेमी पाठकों ने इसे पुन: प्रकाशित करने के लिये भागह किया । प्रेमी पाठकों के विशेष आग्रह पर भव इस पस्तक का दितीग संस्करण छुपकर तैमार हो गगा है । | यन्त्र अस्त पर्चिम नामक पुस्तक सामान्य चिकित्सकों के लिए बड़ी सरल माषा में चित्रों दारा विषय को समझाते हुए लिसी-गई है । इसमें चिकित्सोपठोगी सभी बन्ध शास्त्रों की न्यवहार विधि संचित्र समन्ञाई गई है । इसके पास रहने पर आपको किसी भी उपकरण के प्रयोग करने में तमिक शी परेशानी नहीं होगी । सही जानकारी देने वाली अभी तक एक माय यही पुस्तक प्रकशित हुई है। दर सभी चिकित्सकों को इसकी एक प्रति अपने पास गेवदय रखनी चाहिए तथा बन शस्थों कोगी. मंगाकर उनका व्यवहार करना चाहिये । इनके रखने से निदान वे चिकित्सा में आपको बड़ी युविधा रहेगी, रोगियों पर इनका बड़ा प्रभाव पड़ेगा तथा आपका कार्य अवश्य ही उत्तरोत्तर बढ़ता जायेगा 1 ए्‌ आत'जजा लि फिधि कु झा हि. + नीत शोध संगालें मुल्य संजित्द पृ०-०० साथ ः पर पोस्ट ८ पय पृथक पता-धन्वन्तार कार्यालय विभयगढ़ू (अलोगढ़) निमपापनताफापधतपयणफाफपतताताा गत




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