युगवीर - निबन्धावली भाग - 1 | Yugavir Nibandhavali Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
487
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ युगवीर-निबन्धावली
'दुर्बक स्वीकार किये जा चुके हैं । इस प्रकार हम प० जुगलकिशोरजी
शुरूतारको जेनसमाजमें नये युग-निर्माणमे एक महान् अग्रणी कह
सकते हैं, जिसके प्रचुर प्रमाण उनके प्रस्तुत लेखोमे विद्यमान हैं ।
जो कोई जेनसमाजकी गत प्रघ शतान्दीकी गति-विधिका इतिहास
-समभकना चाहे, व उस विषय पर कुछ लिखना चाहे, उसके लिये
यह लेख-सम्रह अरनिवार्यरूपसे उपयोगी सिद्ध होगा, भौर वह प१डत-
जीकी विद्त्ता व समाज-सुधारकी शुद्ध ग्नौर सुदृढ मावनाका लोहा
-माने बिना नही रहेगा । अ्रघ-विहवासो व श्रज्ञानपुणं मान्यतश्रोकी
कठोर श्रालोचनाके साथ साथ शास्त्रीय प्राधार ्रौर स्थिर ब्रादर्शो-
का पक्षपाततथा नवे-निर्माणका सावधानी पूणा प्रयत्न पडतजीकी
अपनी विशेषता है । श्रपनी कही हूर बातोकी पुष्टे लिये प्रमाणो,
तर्को व रष्टान्तोकी उनकं पास कोई कमी नही । उनकी भाषा
सरल श्रौर धारावाहिनी, तथा बॉली तकपुर्ण श्रौर श्रोजस्विनी है ।
सस्कृत व फारसीके मोह व श्राग्रहसे रहत व ऐसी सुबोध हिन्दी
लिखते हँ जिसके विषयमे विसीको कोई शिकायत नहीं होनी
चाहिये । इन सब गुणोसे पडतजीका अपना 'युगवी र” उपनाम, जो
उनक पूरे नामका ही सारगमित सेप है, पूर्णत सार्थक सिद्ध हृश्रा
पाया जाता है ।
हमारी अझभिलाषा और प्राथना है कि ुतेदेवीका यह परम
पुजारी चिरयु हो,
विश्वविद्यालय, ि <
जबलपुर (मण्प्र०) | (डा०) हीरालाल † जन
१६-२-१९९३ ( एम८ए%, डी» लिट )
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