काश, ऐसा हो | Kaas Aisa Ho

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : काश, ऐसा हो  - Kaas Aisa Ho

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सूरज सिंह - Sooraj Singh

Add Infomation AboutSooraj Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पार्वती महादेव पार्वती गणेश महादेव पार्वती महादेव पार्वती महादेव पार्वती महादेव पार्वती गणेश गणेश महादेव पार्वती (ति स्वरमे) ये गधा अपने वाप पर गया हे म किस किस को समद्गाऊ। क्यो क्या जुल्म कर दिया इसने ? इतना बडा साड छ गया आर बोलने की तमीज नहीं । अब साड हो या भाड | आदमी जो बोता है वो ही चीज काटता है। यहा आ वेटे। मुझे वतला क्या हुआ ? कोई आदमी तीन घण्टे से अपना दरवाजा तोड रहा था। मैं उससे पूछा तुमको मेरी मा से मिलना है या मेरे वाप से ? (मारते हुए) फिर तुम मुझे बाप बोला ? तुम इसके वाप नही हो क्या? वाप रहः परन्तु जव देखो याप वाप वाप। तो क्या बोले तुमको ? दादाजी या नानाजी ? वावूजी वावूसा पापा पापाजी उडी डेड और कुछ नहीं तो खाली बापू ही बोल दे | लेकिन बापू वाले गुण कहाँ है तुममे उनको तो पूरा राष्ट्र ही वापू बोलता था। हरामी कहीं का जब देखो बाप. बाप. बाप | अव अनपढ आदमी तो एसे ही बोलेगा। अगर पापाया डंडी बोलाना था तो पढाया क्यो नहीं इसे ? अरे पडा क्या है पढने मे ? पटे-लिखे लाखो लोग बेकार घूम रहे हैं | (गणेश वीव से बोलता है) तो तू क्यो पढा बाप ? (भारते हषर फिर तुमने मुझे बाप बोला। बोल बोलेगा बाप ? (बीच मे पड़ते हुए) मेरी समझ मे नहीं आ रहा है कि बाप बोलने मे तुमको शर्म मक क मु ८15




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now