जातक भाग - 2 | Jatak Bhag - 2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
489
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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विषय पृष्ठ
१७६. सतधम्म जातक . - २३७
[ब्राह्मण ने पहले श्रपने ऊवे कुल के श्रभिमान के
कारण चाण्डाल का दिया भात खाने से इनकार किया ।
. पीछे जोर की भूख लगने पर चाण्डाल से छीन कर
उसका जूठा भात खाया । |
१८०. दुद्दद जातक (६ .. २४०
[ कठिनाई से दिया जा सकने वाला दान देने की
महिमा । |
४. असदिस वग २४४
१८१. श्रसदिस जातक क प न». रेड
[ श्रसदिस राजकमार की विलक्षण धनुविद्या । ]
१८२० सड्ामावचर जातक ४ ,, २४६
[ हाथी-रिक्षक ने मंगल-हाथी को बढावा द संग्राम
जीता । |
. १५३. वाठोदकं जातक . . -„ २४४
[ सिन्धूकल में पेदा हुए षोड प्रंगूर का रसं पीकर
शान्त रहे । बचे कसेले रसं में पानी मिलाकर गधों को
पिलाया गया । वह् उद्खलने-कूदने लगे । ]
१८४. भिरिदत्त जातक पि २५७
[ शिक्षक के लंगड़े होने से घोड़ा लंगङ्ाकर चलने
लग गया । |
१८४. झनसिरति जातक , . , ई
[ चित्त की श्रस्थिरतामन्वो की विस्मृति का कारण हुई । ]
१८६. वधिवाहून जातक . , २६२
[ दधिवाहन राजा ने मणि-खण्ड, चुरी-कृल्हाडी
५० ढोल तथा दही के घडे की मदद से वाराणसी के राज्य
पर अधिकार किया । ]
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