महावीर - वाणी | Mahveer Vani

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Mahveer Vani by डॉ० भगवान दास - Dr. Bhagawan Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ना सदकारी संपादक ) वथा आ पुत्वश्ना मूढः वथा हिन्दी अदुवादमा सुद्रक भाई परमेष्ठीदासजी जेन ( मालीक नेन्द्र प्रेसः ऊलितपुरः उत्तरधदेश्च ) ख बन्ने महाश्योप था पुरुतकना सुद्रणमां ज्ञे भारे दिलचस्पी बतावेड छे ते मारे तेभनो बन्ेनो दूं सिदोष आभारी दु. अद्दीं था बावत खाल जणाववी जोईप के जो भा यन्ने भाईओप पुस्तकना मसुद्रण-संदोधन माहे 'दिलखस्पी न लीधी होत तो मुद्राराझ तना प्रभावने लीघे फुश्तकने अते आपेल शुद्धिपत्रक केटलुंय लांबुं थे गयुं होत. डा. भगवानदाखजीए पोतानी भ्रस्तावनामां अणावेखु ऊ कै पस्तुत आवत्तिना कागद साय नधी अने तेनु समर्थक कारण पण पोते ज सम जावेढ छे. तेम हुं पण अदी आ वात नघ्रपणे ज्ञणाववानी रजा लउ छुं के प्रस्तुत पुस्वकनां मूट्ट गाथाभोनुं भने अनुवाद्नु मुद्रण मनपसंद नथी छतां महावीर चाणी प्रत्ये सद्भाव राखनारो वाचक वग आ मुद्रण प्रत्ये पण उशारता दाखवी तने वधावी लेशे ष आहा अस्थाने नधी. महावीरवाणीनी कायापलट जागली बची आवृतिओ करतां भा सस्करणमां जे विशेषता छे ते आ प्रमाणे छे: { १२]




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