सुधार | Sudhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुधार १६
आदमी हैं । टालस्टाय ने अपनी (क्रायस्ार सोनाटा नामक पुस्तक के
पात्रके सुह से कलवाया हैकि संगीत एक सरकारी विपव दोना
चाहिये, क्योकि इसकी मोह क्ति का यदि कोद भी विगड़दिल तया
बिगड़े दिमाग़ उपयोग कर-सके ली यह बात समाज के लिये बड़ी
खतरनाक होगी । मैं इसी प्रकार कहती हूँ कि जिस किसी ने
कलम उठाई तथा जरा सिलसिलेवार श्रौर लच्छेदार भाषा लिखने
लगा वहीं लिख सकेगा, यह बात समाज के लिये हानिकारक है ।
रूस में जो दरेक बिंगड़ेदिल को लिखने नहीं दिया जाता इसका मैं
अब तक तो समर्थन नहीं करती थी, किंतु रब करती हूँ । ठीक तो
है, लिखने की श्राजादी के नाम पर लोगों को श्रतिसामाजिक चीज
लिखने न दिया जाय यह ठीक ही है. . .. . .
एक महाशय जो मन ही मन श्रव तक एक वाक्य बना रहे ये; तथा
उस वाक्य को श्रपनी जीभ रूपी धनुष पर चदढाये हुए प्रतीक्षा कर
रहे ये कि रूपक्ुमारीजीं चुप दं तो वे श्रपना वाक्य छोड़; श्व प्रतीक्षा
करते-करते घें खोकर बोल उठे--पुस्तक को पढ़ जाना श्रौर बात
है शरोर समना और बात । क्या झापने “पाप के पैसे” के उस
रंश को पढ़ा है जहाँ वेश्यालयों का श्राम वणन है, कितना बीभत्स
इनका जीवन है ? ऐसी बातों के पढ़ने से वेश्याइत्ति को प्रोत्साहन
होता है था निरुत्साह ! न मालूम कैसी श्ौंधी खोपड़ी श्राप लोगो ने
पाई है ? |
श्ररिन्दम घय लोगों की ऐसी बातें सुना करता था, कुछ मित्र
उठकर नल देते, दूसरे श्राते । इस प्रकार जैसे बायलर।में नये कोयलों
से गर्मी कायम रहती है उसी प्रकार श्ागन्तुकों के इस कमरे में
तर्क की श्ाग कायम रहती । कभी-कभी स्वयं श्ररिन्दम भी खिसक..
जाता; लोगों को बड़ी देर बाद पता लगता कि वद ग्रायब्र है तो वे भी
चल देते | क बार कया श्रकसर ये बहसें राजनीतिक रूप धारण करतीं
तब तो श्ररिन्दम भी इसमे शामिल दोता । तिव्यत में रहते समय एक
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