सचित्र अर्ध-मागधी कोष भाग 2 | Sachitra Ardha Magadhi Kosh Vol,2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
47 MB
कुल पष्ठ :
950
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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4 प° ( -भद-श्रायुप्यस्थ्र जीवितस्य
भेद उपक्रम श्रायुभेद् ) सौयुण्यनी उप दल;
२५५१५४२ नेह -तुर्तु त. आयुक्मं का
दूटना; आयु में भेद होजाना 06810
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घ0ण 0. ठै प्र 58 कक 8.
« सत्तविहे श्राङुमेद् प० तेजा श्रञ्छव्म्माण
निमित्त श्राह वेयण। पराघाए् फासे ्रणा-
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भगन ४, ६, ६, ४; पि० निन भा &,
सूयय १, १, 8, ७, प्रवे ष्टः (२)
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श्रपक्राय-जल के जीव. 8 २९१६४१९
860४16४ 081. जे० प० ७, सु० प०
१०, उत्त० ९६, ३०, कण गं० १, २६;
५७, रे; ६; ४, ३; भग ५, ५) र, (३ >
प६4१।५ नक्षिननेा दृवता पूर्वाषाढा नक्तत्र
कादेव ४6 तभ ण धल एप्-
४६५६. 7. ९००8४०1} ४.४००. ^ पुञ्वासादा
छाउ देवयाए' सू० प० १०, श्रणुजो
१३१५ ठा० ९, दे; नकाशानय पुं
( -काय-श्राप. कायो यस्यति ) खपाः;
पलना व् श्रपकाय के जीव. ४९.६९
1९68, सम० ६; उत्त० १०, ६; दस°
६१३०५; भरा २; ६, ७; १०१६३,
श्माया० १,६, १, १२; -काडय. पुं
( -कायिक-श्रापो द्रवास्तापए्र कायः
शरीरं यस्यत्ति ) २५-पायौ छय-शरीर
छ नन्तुं प, पाशीना १. ऐसे जीव
जिनका शरीर जल है 8पृण&91८ 11४69
भगण १ ५; १७, र; पैठ; ठ; ६३,
१; जीवा १; पन्न १; दस० ४,
नाक पथ पुर ( -फाय 9 सप्;
पास. अपकाय; जल ४९६७1; ८6!
©08106760 85 2. 36110161 1088.
सह 9.
वत्त १०, ५, पिं नि० भा० १६; श्राया
नि० १, १, डे, ११३५ पन्न० १; पंचा ५,
२६; १०, २४; १४, ७. -क्वाइय पुर
( -कायिक >) ०4 े। “ श्राउकाडूय › २५६.
देखो ५“ श्राउकाद्य शब्द ” 9106
^ च्राउकादय ` “ सेकिंते श्राउक्तादया ?
ऑ्राउकाइया दुविहा पन्नता ” पन्न १;
भग० २६, १, --द्ाय्विदैसग. तरिर
( -कायाबादिसक » ५।७] + वनी [६२
४२५२ जलकाय-जीव कौ दिसा करने
वाला ( 06 ) 110 }्}}ऽ वप्र
88116706 06108 = मष्डा. १०६
--जीव. पु ( -जीव ) ०८८९; ५९ ता
५ जलजीव, पासी के जीव ११००९
1४०58 ^“ दुविहा श्राउजीवाच्रो सुदुमा
यायरा तदा ” उत्त ३६; ६५8६; ३६;
सथ; ८५, सूय १, १५, ७, मग
५, २, चहल त्रि ( -वहुल)
न्भ पालौ च्यु इन ते. जिस में
पानी बहुत दो ऐसा ४1०४ 1116} 18
प] ग फा. जर प्र २, ३६५;
--वद्ुलकेड न° ( -वहुलकार्ट ) ध्यु
गतलवानि। रअभा पुथ्वीना नीना ५९३
चहुत जल वाला रत्नप्रभा पृथ्वी का तोंसरा
काराड-भाग. 116 1170 3९८०
४06 ९8 [2112 - कछया 8 तपा) -
काण्व 10 ण्ट. ^“ श्राउवहुले
कंडे श्रसीद् जाण्णसष्टस्सार् वाइल्लेण ”
सम० --याय. पु* ( -काय)
भालीना यत; सेभक्ाय पानी के जीव.
२प ९.८ ९८९8 ्प68 ५8.४९1 ९01 -
8104660 88 8 11४10 70888 मग
१६, ३; -सोश्च- न ( -रोच ) ०८८५-2
शेव्य-धिनेता जलद्वासा शुद्धि, एप१०8-
४०, नन्दो एष 7068989
2.6, ठ० ५, ३;
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