आज के उर्दू शायर | Aaj Ki Urdu Shayari

Aaj Ki Urdu Shayari by जोश मलीहाबादी - Josh Malihabadi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्द्दार से खिताब उंगलियां उद्ठेंगी दुनियां में तेरी भ्रौलाद पर । ग़लग़ला होगा वो श्राते हैं रज़ालत के पिसर ॥। तेरी मस्तुरात* का बाज़ार में होगा क़याम । मारिज़े-दुशनाम में तेरा लिया जाएगा नाम ॥। उस तरफ़ सुह करके श्रुकेगा न कोई नौजवाँ । बर की हसरत में रहेंगी तेरे घर की लड़कियां ॥ क्या जवानों के ग़ज़ब का जिक्र शो इब्ते-खिताब* ! सुन के तेरा नाम उड़ जायेगा ब्रूढ़ों का ख़िज़ाब ॥। दर, में में ७. फ़ोश* समभकी जायेगी महलों में तेरी दास्तां । केॉँय उठेंगी जिक्र से तेरे कंवारी लड़कियां ॥। आएगा तारीख का जिस वक़्त जुंबिय में क़लस 1 क़ब्न तेरी दे उठेगी लौ जहन्तुम की क़सभ ॥। १. नीचता. २. वंशज ३. श्रौरतों ४. गाली देने के सम्बन्ध में ४. उपाधियों के लिए लालायित ६. अरलील €




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