तत्वविचारदीपक | Tatvavichardeepak

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Tatvavichardeepak by स्वामी शिवानन्द - Swami Shivanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रजुवन्ध । कदी होय कुरूप तनकारी । तो भी घर सोदावना हारी ॥९५ जात जमात ऊुरेव सोदावे । पु पसिार भले नीपागे ॥ ध्रव प्रह्लाद म्गीरथ जसे । नारि नर नीवाबत एसे ॥१६॥ बिन तिरिया जो विधुर होगे। तौ नात जात सकल बिगोनै ॥। यातें सब कोइ 'नारि लाने । संसार सार सुख॒ भोगानै ॥१७॥ दष हेतु नारि सव दुं प्यारी । दमति पूनि अचत कवारी॥ नारिं नाहि सो गर कारी । तजे विवेकी हिये विचारी ॥१।




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