तत्वविचारदीपक | Tatvavichardeepak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
197
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रजुवन्ध ।
कदी होय कुरूप तनकारी ।
तो भी घर सोदावना हारी ॥९५
जात जमात ऊुरेव सोदावे ।
पु पसिार भले नीपागे ॥
ध्रव प्रह्लाद म्गीरथ जसे ।
नारि नर नीवाबत एसे ॥१६॥
बिन तिरिया जो विधुर होगे।
तौ नात जात सकल बिगोनै ॥।
यातें सब कोइ 'नारि लाने ।
संसार सार सुख॒ भोगानै ॥१७॥
दष हेतु नारि सव दुं प्यारी ।
दमति पूनि अचत कवारी॥
नारिं नाहि सो गर कारी ।
तजे विवेकी हिये विचारी ॥१।
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