घट रामायन भाग 1 | Ght Ramayan Bhag 1

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तुलसी साहिब 'साहिब पंथ' के प्रवर्तक थे। कहा जाता है कि ये मराठा सरदार रघुनाथ राव के ज्येष्ठ पुत्र और बाजीराव द्वितीय के बड़े भाई थे। इनका घर का नाम 'श्याम राव' था। किन्तु इतिहास इस अनुश्रुति का समर्थन नहीं करता। इतिहास ग्रंथों के अनुसार रघुनाथराव के ज्येष्ठ पुत्र का नाम अमृतराव था। 'घटरामायन', 'शब्दावली', 'रत्नासागर' और 'पद्यसागर' (अपूर्ण) इनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं।

ऐसा प्रसिद्ध है कि 12 वर्ष की अवस्था में ही तुलसी साहिब घर से विरक्त होकर निकल पड़े थे और हाथरस, उत्तर प्रदेश में आकर रहने लगे थे। क्षिति बाबू के अनुसार पहले ये ' आवापंथ' में दीक्षित हुए थे और बाद को संतमत में आये; किंतु ऐसा मानने

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घर रामायन लेनो मंजन अनप राहिनो. अंदर अरूप । बंदा रबि रेनि दिवस तारे नभ नाहीं बरनन लखि अलख ऐन स्थाम निकर कंद | निरता खति समशि सूर पंकज उपनाइ ॥ ३ ॥ अंबज अतल बलि दच्छ अधर मल । .. फला फल बन निवास ललित लता छाडइ ॥ ४ ॥ भंवर भंग लखसि सगंध उरभम्े रस बस बिलास । .. छानेंद सीतल समोर सरवर तट साई ॥ ४ ॥ . जहेँ जहें दुग देख जात खगपातरक्लांत नम उड़ात । _ बन बन सूग चरत जात काकिल.. करकाइ ॥ ६ ॥ _ धघरिके घस धरन डोर ढुढ़के चढ़ि कड़क केक । घघकत घसि घघक नोर फटा. पल. जाई भाखा भोतर बयान सज्जन सुनि समश्सि साथ .. अज अजर बात संतन लखवाइ ॥ ८ ॥ 1 साश्ठा ॥ . भान भवन घट बास लखि अकास उंदर गई । लोला गिरि चित चास दोपक मंदिर सरम जस ॥ ॥ दोहा ॥ लखि प्रकास पद तेज सेज गवन गढ़ गगन में । . पति प्रिय प्रेम बिलास तलसिदास दस शिरा में । ॥ सारदा ॥ मे सति ऐन अयान गरू बयान मे के कहो । लह्मी गगन साइड जान सतगरु मंजन पद्म हीं ॥ सेारठा ॥ न सतगरु अगम अपार सार समभ्सि तलसों किये । -दूया दोन निरघार माहि निक्ार बाहिर लिया ॥ १ वायु । २ गरुड़ । ३ झप्भात ० नाल निया केबिन बैक नर कल सम अंक




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