हस्तलिखित हिंदी ग्रंथों का सोलहवां त्रैवार्षिक विवरण | Hastlikhit Hindi Grantho Ka Solahwa Trayvarshik Vivaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
64 MB
कुल पष्ठ :
497
श्रेणी :
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डॉ पीताम्बरदत्त बडध्वाल - Peetambardatt Bardhwal
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दौलतराम जुयाल - Daulatram Juyal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १० )
हैं, “श्री गुरु दीपक डर घरें) तब होय प्रकट प्रकास । अक्षर परौ प्रेम करि, ज्यौ सकर
तिमिरि को नास ॥ सत संगति संग अनुसरै, रहें सदा निरभार । बावन पढ़े बनाय करि,
वदि सोइ भाकार ॥” अर्थात् कबीर इन बावन अक्षरों को लोकन्रय कहकर सब कुछ इन्हीं
में बताते हैं । इसी प्रकार परशुराम भी इनको सकल तिमिर का हत्त रहकर उससे
“परचौ” करने का उपदेश देते हैं । इस प्रकार इन अंधों में अनेक स्थलों पर भावसाम्य है ।
परन्तु कबीर के नाम से “विप्रमतीसी” नाम का जो झंथ मिलता है वह परशुराम की
विप्रमतीसी' से सर्वथा अभिन्न है ।
विप्रमतीसी का मिलान
कबीर
सुनहु सबन मिलि विप्रमतीसी ।
हरि बिन बडे नाव भरीसी॥
ब्रह्मण होके ब्रह्म न. जाते |
घर मह जगत परिग्रह आने!
जे सिरजा तेहि नहिं पहिचाने।
कमं भमं छे बैडि अषानै॥
ग्रहण अमावस सायर दूजा)
स्वस्तिकं पात प्रयोजन पूजा
प्रेत॒ कनक मुष अन्तर वासा |
आहुति सत्य होम कै आशा
उत्तम कुछ कलि मोहिं कटवै |
फिरि किरि मध्यम कमं करादे॥
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हंस देह तजि न्यारा होहं।
ताकी जाति कटौ धूः कोई ॥।
इवेत श्याम की रता पिथरा।
अवणं वणं की ताता सियरा॥
हिन्दू तुरक की बढा बारा)
नारि पुरुष मिलि करहु बिचारा॥
किये काहि कहा नहिं माना |
दास कबीर सोहै पै जाना॥
परशुराम
सबको सुणियो विप्रमतीसी ।
हरि बिन बूड़े नाव भरीसी॥
वांमण ॐ पणिब्रह्यन जणै।
घर में जगत पतिश्रह आणे ॥
जिन सिरने ताकू न पिछाणे ।
करम भरम कू बैठि चपाणे |)
ग्रहण अमादस थाचर दुजा।
सूत गया तव प्रोजन पूजा ॥।
प्रेत कनक सुप अन्तरिवासा ।
सती अऊत होम की जसरा॥
कुरु उत्तम कलि माहि कहापै ।
फिर फिर मधम कमं कमावे॥
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हंस देह तजि नयरा हो ।
ताकर जाति कहर दँ कोर ॥
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स्याह सुपेत कि राता पीला.
अवर्ण वरण कि तता सीला॥
अगम अगोचर कहत न आवे ।
अपणे अपणैे सहज समावै ॥
समझि न परे कही को मानै ।
परसादास होइ सोई जाने ॥
ऊपर के उद्धरणों पर ध्यान देने से स्पष्ट विदित होता हैं कि थोड़े से हेरनफेर के
साथ. दोनों अंथ एक ही हँ । जतणएव इनका रचयिता भी एक ही होना चाहिए । दोनों अ्र॑थ-
कारों ने अपना अपना नाम भी दे दिया है जिससे स्पष्ट है कि दोनों ही उस पर अपना
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