दशकुमार चरित | Duskumar Charit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : दशकुमार चरित  - Duskumar Charit

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

डॉ मोतीचंद्र - Dr. Motichandra

No Information available about डॉ मोतीचंद्र - Dr. Motichandra

Add Infomation AboutDr. Motichandra

निरंजनदेव आयुर्वेदालंकार - Niranjandeo Aayurvedalankar

No Information available about निरंजनदेव आयुर्वेदालंकार - Niranjandeo Aayurvedalankar

Add Infomation AboutNiranjandeo Aayurvedalankar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
+: र५ : वर्णन कभी दुहराए नहीं जाते । सुन्दर राजकन्याओं के नखशिख के वर्णन अद्वितीय हैं। एक जगह प्रभात की शोमा का काफी सुन्दर शाब्दिक चित्रण हैं । एक भयंकर अकाल का वर्णन करते हुए उसन कथा-साहित्य में सादृश्यवाद का सुंदर रूप उपस्थित किया हैं । हम पहले कह आए है कि दशकुमारचरित मे भारतीय समाज के निभ्नस्तर का दिग्दर्शन है तथा राजाओं के षड्यन्त्र और राजमहलों ' में होनेवाले दुराचारों की ओर संकेत है। दशकुमास्चरित के राजा ओर राजकुमार कामुकता के शिकार दिखलाए गए चदं जो अपना मतलब गाँठने के लिए कोई भी काम कर गुजरने से नहीं हिचकिचाते थे। दायद इसीलिए विश्वुत की कहानी में दंडिन्‌ नें. विदर्भे के राजा पुण्यवर्मन्‌ के चरित्र में एक आदं राजा कौ तसवीर खींची ह । पुण्यवर्मन्‌ सुन्दर, बलवान, बुद्धिमान्‌, धर्म-शास्व की आज्ञा पालन करने वाके, लोकोपकारी, विद्वानों और सेवकों का आदर करने वाले, उलूल-जुलूल बातों पर कान न देने वाले, कलायो में पंडित, राजकर्मचारियों पर निगाह रखने वाले और चातुर्वण्यं कौ व्यवस्था कायम रखने वाले थे। एक कुशल राजा के लिए राजनीति का ज्ञान भी आवदयक था । विहारभद्र ने अपनी जिस बुरी सलाह से अनंतवमंन्‌ को बहकाने की कोशिश कौ उसमें भी एक आदर्श राजा कौ दिनचर्या पर काफी प्रकाश पड़ता है । राजा सवेरे ही उठते थे, फिर हाथ-मुंह घोकर आय-व्यय का हिसाब सुनते थे । दिन के दूसरे भाग में ये मामले-मुकदमे सुनते थे । इसके बाद वे तीसरे पहर भोजन करते थे । दिन के चौथे पहर मे कर ओर नजराना वसूल करते थे, पाँचवें पहर में मंत्रियों से सलाह- मशविरा करते थे तथा दूतं मौर चरों से राज्य का हालचाल सुनते थे । दिन के छठे भाग में वे आराम करते थे अथवा गुप्त मंत्रणा । दिन के सातवें भाकु में उन्हें सेना की निगरानी करनी पड़ती थी और आठवें भाग में वे सेनापति के साथ बातचीत करते थे । साँझ होते ही उन्हें संध्यावंदन करना पड़ता था । रात के पहले पहर में वे गुप्तचरों से खबरें सुनकर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now