आज का जापान | Aaj Ka Japan

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Aaj Ka Japan by मदन्त आनंद कौसल्यायन - Madant Aanand Kausalyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १ ] पिश्व-बोद्ध-सम्मेलन में यदि मैं इसका ठीक-ठीक अंदाजा कर पाता कि द्वितीय विश्व-बौद्ध- सम्मेलन के अवसर पर जापान जाने के सकल्प को मन में जगह देने से नापान प्रस्थान करने से पूवं काफी हैरानी का सामना करना पडेगा, तो कदाचित्‌ मै जापान जाने के सकल्प को मन मँ जगह हीन देता । चिन्त छर दो महीने के जापान-प्वास के वाद मुभे लगता है कि यह बहुत ही अच्छा हुता किमे जापान हो श्राया | जापान कंसे गया ? प्रस्थान करने से पूव पासपोट, वीसा श्रादि की सब कठिनाइयाँ लॉघ तर ब्रिटिश ओवरसीज एयरवेज कम्पनी के हवाई जहाज से १७०७ स० मै कलकत्तासे तोक्यो तक का टिकट लेकर भी जब २१ दिसम्बर को प्रातम्काल समी मित्रो से बिदा हो आर यात्रा के लिए उनकी मगल-




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