आचारांगसूत्रम : भाग 3 | Acharanga Sutra : Vol - Iii
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48 MB
कुल पष्ठ :
748
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कन्हैयालाल जी महाराज - Kanhaiyalal Ji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
(१०) सैकाना-तां. २९-११-३६ का पत्र, शाख्रोंकें ज्ञातां श्रीमान
रतनलाठजी डासी,.
(११) सीष्न-ता. ९-११-३६ का पन, पैडितरत्न न्यायतीय सुश्रावक
श्रीयुत्त माधवलाउजी,
सादर जय जिनेन्द्र
आपका मेजा हुवा उपासकदहांग सूत्र तथा पत्र मिला यहां घिरा-
जित प्रवर्तक वयोच्रद्ध श्री १००८ ओरी ताराचंदजी महाराज-पण्डित श्री
किरानलालजी महाराज आदि णा १४ खख शांतिमें विराजमान हैं
आपके वहां विराजित जेनशाखाचाथं पूल्यवाद शआ १००८ श्री
घासीलाउजी महाराज आदि ठाणा नव से मारी वन्दना अजे कर
खख कांति पे, आपने उपासकददांग सूत्रके विषय मै यहां
चिराजित स॒निवरों की सम्मति मंगाई उसके विषय में वक्ता
श्री सोमागमल्जी महाराजने फरमाया है कि वतमाने स्थानकवासी
समाजे अनेकानेक विद्धान् शुनि महाराज मौजूद है मगर जेनराख
की त्ति रचनेका सादस जैसा चासीलालजी महाराजने किथा है वेसा
अन्यने किया हो पेखा नजर नहीं आता । दूसरा यह शाख अयन्त
उपयोगी तो याँ है दी संस्कत प्राक्त हिंदी और गुजराती भाषा होने से
चारों भाषा वाढ़े एक ही पुस्तक से लाभ उठा सकते है । जेन समाज
में ऐसे विद्वानों का गौरव बढ़े यही युम कामना है । आशा है कि
स्थानकवासी संघ विद्धानों की कद्र करना सीखेगा ।
योग्य लिखे शेष झुभ मवदीय
जमनाछाल रामलाल कीमती
आगरा से-
श्री जेनदिवाकर प्रसिद्ध वक्ता जगद्धल्लम सुनि श्री चोधमलजी
महाराज च पडितरत्न खुव्याख्यानी गणीजी श्री प्यारचन्द् जी
सराराज ने इस पुस्तक को अतीव पसन्द की है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...