विनयचन्द्र - कृति - कुसुमांजलि | Vinay Chandra - Krit Kusumanjali

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Vinay Chandra - Krit Kusumanjali by भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ $ | अनुमान के आधार पर हो चढना होगा । अतः आपने छगभग १९५ व्प की आयु मे दीक्षा छी हो तो सं० १०४०-४४ के बीच में दीक्षाकाछ होना चाहिए। विधाध्ययन-- दीक्षा लेने के अनन्तर आपने विद्याध्ययन प्रारम्भ किया । आपकी गुरु परम्परा में साहिय, जेनागम और साषाशास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान होते आये दै त्याग बेराग्यपूण श्रमण संस्कृति का मुख्य आधार आचारशास् ओर अध्यात्म था। आपने अपने गोताथं गुहो की निश्रा भ रह्‌ कर पूणं मनोयोग पूवक विद्याध्ययन किया जो कि आपकी कृतियोँ से भली माति प्रमा- णित है। इनकी मापा कल्यं मे संस्कृत शब्दो का प्राधान्य है इससे विदित होता है करि संस्कृत सापा एवं काव्य श्रन्थादि का आपने सुचार्‌ रूप से अध्ययन क्या था । विहार और रचनाएँ- आपका विहार कष कह हआ यदह जानने के छिए हमारे पास आपकी कृतियों के सिवा कोई साधन नहीं है । आपकी संवतोल्ठेख बाली प्रथम बड़ी रचना उत्तमकुमार चरित्र चौपई है जो सं० १७५२ मिती फागुन सुदि £ गुरुवार के दिन पारण मे विरचित है। इससे ज्ञात होता है कि ऽप अपने गुरुजनं के साथ राजस्थान से तत्काढीन आचाय श्री जिनवंद्सूरिजी के आदेश से गुजरात पधार गये थे । इन श्री जिनचंद्रसुरि जी की




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