भारत वर्ष का इतिहास तृतीय खंड बौद्ध काल | Bharat Varsh Ka Itihas tritiya Khand Boudhha Kal

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Bharat Varsh Ka Itihas  tritiya Khand  Boudhha Kal by सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घ्रंधम भागे । (6) हुतदी पूरे में सिफन्दर ने भारतवर्ष पर श्राक्मण किया और ५९३ हैं० पू० सेणड्राकोइंस ( चन्द्रंगुप्त॑ ) मगध के राज: सिंहासन पर बैठा | बस, इन दो तिथियीं को धर की तरहं से निश्चित मान कर ऐतिहासिकों ने भारतवर्ष की प्राचीन घटनाश्ों के सौर मरडल की श्रवस्थिति कर डाली | इसी को श्राघार मान कर सम्पू राजवंशों का काल निर्णय कर दिया गया । इसी कारण शनेक ऐतिहासिकों ने सर विलीयम जोन्प के श्राविष्कार को “भारतीय तिथिक्रम का कंगर” कहा है ।




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